- प्रदेश में फिल्म नीति से बदली स्थानीय कलाकारों की किस्मत

- अब तक कई कलाकारों को फिल्मों में मिला काम

LUCKNOW: फिल्म नीति के आने के बाद जहां एक ओर प्रदेश में फिल्मों के निर्माण में तेजी आई है, वहीं दूसरी ओर यहां के उपेक्षित रंगमंच के कलाकारों को उम्मीद की एक किरण भी नजर आई है। प्रदेश में पिछले कुछ सालों में दर्जनों बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग की गई हैं। इन फिल्मों में स्थानीय कलाकारों को काम करने मौका मिला है। ऐसे में सरकार की फिल्म नीति ने काम की तलाश में दर-दर भटकने वाले ऐसे कलाकारों को एक ओर जहां रोजगार मिला है, वहीं उनको अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का मौका भी मिला। बॉलीवुड के कई बड़े नाम जैसे ओम पुरी, राजीव खंडेलवाल, अतुल कुलकर्णी, अध्ययन सुमन, नवाजुद्दीन सिददीकी, अमन वर्मा और सैफ अली खान जैसे कलाकारों के साथ उनको काम करने का मौका मिल रहा है। प्रदेश सरकार की फिल्म बंधु नीति ने कलाकारों की दम तोड़ती प्रतिभा को संजीवनी बूटी देने का काम किया है।

अब प्रतिभा को मिला मुकाम

सरकार की फिल्म नीति से हर वर्ग के कलाकारों को मौका मिल रहा है। जिसकी जैसी प्रतिभा है, उसको वैसा काम मिल रहा है। कल तक मुंबई का सपना देखने वाले शहर के कलाकारों को अब अपना शहर ही मुंबई नजर आता है। काम की तलाश में अब उनको मुंबई नहीं जाना पड़ रहा है। फिल्म में क्राउड लेकर कई मुख्य किरदार शहर के कलाकारों ने निभाये हैं। किसी ने विलेन तो किसी ने किसान का किरदार निभाकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। साथ ही यह भी साबित कर दिया कि अगर मौका मिले तो यहां से भी बॉलीवुड को कई महारथी मिल सकते हैं।

मुंबई से नहीं लखनऊ से मिली सफलता

30 साल से रंगमंच से जुड़े लालबाग निवासी राहत शेख को जो सफलता मुंबई में नहीं मिली, वो उनको प्रदेश में फिल्म नीति के आने के बाद शहर में मिली। थियेटर आर्टिस्ट राहत ने बताया कि वो आज से दस साल पहले मुंबई किस्मत आजमाने गये थे, लेकिन लगभग एक साल तक धक्के खाते रहे, मगर कोई ढंग का रोल नहीं मिला। उसके बाद आकर वो थियेटर से जुड़ गये। इसी बीच सरकार की फिल्म फ्रेंडली नीति के कारण शहर में शूटिंग का दौर शुरू हुआ। एक बार फिर मैंने बड़े परदे पर किस्मत आजमाने की सोची और आज मैं अपने काम से संतुष्ट हूं। रंगमंचकर्मी राहत शेख अब तक कई फिल्मों में काम कर चुके हैं, जिसमें अभिनेता राजीव खंडेवाल, अतुल कुलकर्णी के साथ प्रणाम फिल्म, ओमपुरी, संजय मिश्रा, मुकेश तिवारी के साथ गांधीगिरी, रवि किशन के साथ धर्म के सौदागार फिल्म कर चुके रहे हैं, जिसमें कई फिल्म पूरी हो चुकी हैं, वहीं कई की अभी शूटिंग चल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की यह पहल सभी कलाकारों के लिए एक नई उम्मीद है।

दूसरा मुंबई बन रहा है अपना शहर

शहर में लगातार फिल्मों की शूटिंग से स्थानीय कलाकारों में गजब का उत्साह है। रंगकर्मी महेश चंद्र देवा ने बताया कि वो शुरू से अभिनय में अपनी पहचान बनाना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने दिल्ली जाकर अभिनय का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद मुंबई का रुख किया ही था, लेकिन पारिवारिक समस्या होने के कारण वापस आना पड़ा। मगर थियेटर से लगाव ऐसा था वो रंगमंच से जुड़े रहे। एक दो फिल्मों में छोटे रोल करने के बाद मुंबई आने का ऑफर मिला, मगर मैं जा नहीं सका। ऐसे में जब से अखिलेश सरकार ने फिल्म नीति को लागू किया है। तब से मुझे कई फिल्में ऑफर हुई। शहर में रहकर बड़े-बड़े बैनर और अभिनेता के साथ काम करने के साथ उनसे सीखने का मौका मिला। महेश अब तक बाबू मोशाय बंदूकबाज में नवाजुद्दीन के साथ, शोर गुल मूवी में जिम्मी शेरगिल के साथ काम कर चुके हैं। इसके अलावा अमन वर्मा, सुनील पाल के साथ आई एम नॉट देवदास मूवी में काम किया।

अपने शहर में मिला पहला अनुभव

प्रोडक्शन में अपना करियर बनाने की चाहत रखने वाले अमीनाबाद के जय ने बताया कि जब उन्होंने इस फील्ड में आने का फैसला किया था तो उस वक्त लोग कहते थे कि इसमें किस्मत आजमाना हो तो मुंबई जाओ, लेकिन शहर में जब अच्छा काम मिले और साथ ही सीखने का मौका मिला तो मेरे लिए मुंबई यही है। वह कहते हैं कि मुझे पहला मौका सावधान इंडिया में मिला। इसके बाद आई एम नॉट देवदास, गांधीगिरी, जैनब जैसे फिल्मों में मैंने प्रोडक्शन का काम किया। इस दौरान मुझे काफी अनुभव हासिल हुआ। यह सब फिल्म नीति के जरिये ही हो सका, जिसके चलते कई प्रोडक्शन हाउस अपनी फिल्मों की शूटिंग के लिए शहर आये।