-लखनऊ ट्रैफिक पुलिस द्वारा वसूली की शिकायतों की जांच में जुटाए गए प्रशिक्षु आईपीएस ने पकड़ा घपला

-सीओ ट्रैफिक कार्यालय में बीते सात माह से चल रहा था फर्जीवाड़ा

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LUCKNOW : अगर आपने हाल ही में सीओ ट्रैफिक कार्यालय में चालान के एवज में 2000 रुपये जुर्माने की रसीद कटवाई है तो यकीन मानिए सरकारी खजाने में सिर्फ 200 रुपये ही जमा हुए हैं। बाकी रकम रसीद काटने वाला सिपाही अपनी जेब में रख लेता था। लखनऊ ट्रैफिक पुलिस द्वारा की जा रही वसूली की शिकायतों की जांच में जुटाए गए प्रशिक्षु आईपीएस अभिषेक ने बीते सात महीने से चल रहे इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। आरोपी सिपाही को अरेस्ट कर लिया गया है।

शक होने पर की जांच
गौरतलब है कि, ट्रैफिक पुलिस में रिश्वतखोरी व वसूली की शिकायतों की जांच के लिये एसएसपी कलानिधि नैथानी ने प्रशिक्षु आईपीएस अभिषेक को जुटाया है। इसी के तहत आईपीएस अभिषेक ने सीओ ट्रैफिक के कार्यालय में दस्तावेजों की जांच की। इसी जांच के दौरान चालान के एवज में जुर्माना काटने वाली पुस्तिका देख उन्हें शक हुआ। अधिकांश पन्नों में चालान की धाराओं व शमन शुल्क में भारी अंतर था। शक होने पर 23 अगस्त से 15 नवंबर के बीच काटे गए जुर्मानों की रसीद की गहन जांच की गई।

धाराएं कम कर 1800 पार
जांच में पता चला कि बीते सात महीने से जुर्माना वसूलने का काम कॉन्सटेबल धीरज कुमार इंद्राणा कर रहा है। पता चला कि धीरज चालान का जुर्माना 2000 रुपये वसूलता था और चालान के वाहन स्वामी वाले पेज पर 2000 ही अंकित करता था, लेकिन उसकी काउंटर फाइल में वह धाराएं कम करके जुर्माने की रकम 200 रुपये लिख देता था। इस करतूत के जरिए प्रथम दृष्टया 63 हजार 100 रुपये के गबन की पुष्टि हुई। इस खुलासे के बाद आईपीएस अभिषेक के निर्देश पर कैंट पुलिस ने आरोपी कॉन्सटेबल धीरज कुमार इंद्राणा को अरेस्ट कर लिया। पीआरओ इंस्पेक्टर अरुण कुमार सिंह ने बताया कि धीरज द्वारा काटे गए सभी जुर्माना रसीदों की जांच की जा रही है, इसमें अभी और घपले का मामला सामने आ सकता है।