सिपाही को दे गया गच्चा

लाटूश रोड के खटिकाना में रहने वाले जीते सोनकर और उसके भाई अज्जू ने 9 सितंबर 2013 को मुखबिरी के शक में चंद्रशेखर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस केस में पुलिस ने जीते को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जबकि उसका भाई फरार हो गया था। मंगलवार को जीते को दूसरे बंदियों के साथ पेशी पर जेल से कचहरी भेजा गया था। हवालात से सिपाही अवधेश कुमार जीते को लेकर कोर्ट गया। सिपाही के मुताबिक वह जीते को पेशी कराकर हवालात ले जा रहा था। तभी उसने मौका पाकर हाथ की बंधी रस्सी खोल ली और धक्का देकर भाग गया।

गिनती हुई तो प्रभारी के उड़े होश

 इधर, हवालात में आखिरी गाड़ी आने पर बंदियों की गिनती की गई, तो एक बन्दी के कम होने पर हवालात प्रभारी के होश उड़ गए। बंदियों का लेजर चेक करने पर जीते के गायब होने का पता चला। इसके बाद जीते और उसको ले जाने वाले सिपाही की खोजबीन शुरू हुई। देर शाम सिपाही का तो पता चल गया, लेकिन जीते का कुछ पता नहीं चला। एसओ का कहना है कि सिपाही के खिलाफ लापरवाही बरतने की रिपोर्ट दर्ज की गई है।

स्मैक तस्करी से जुड़ा

लाटूश रोड खटिकाना में रहने वाला जीते चार भाइयों में तीसरे नम्बर पर है। उसके भाई सूरज, जीतू और अज्जू भी आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। इसमें सूरज सोनकर जेल में है। इन पर स्मैक तस्करी के ज्यादा केस दर्ज हैं।

पुलिस की सेटिंग से भागा!

कचहरी से मंगलवार को भागे जीते सोनकर का भाई सूरज कई महीनों से जेल में है। जिसके चलते उसकी जेल में हनक थी। वह पेशी पर सिपाहियों को मुंह मांगे रुपए देता था। जिसके चलते वह कोर्ट के बाहर परिजनों के साथ बैठकर आराम से घर का बना खाना खाता था। उसकी पेशी पर दोस्त समेत कई लोग मिलने आते थे। जिससे आशंका जताई जा रही है कि वह पुलिस को गच्चा देकर नहीं, बल्कि पुलिस की सेटिंग से आराम से कचहरी से भाग गया।

पेशी से भागने का रिकॉर्ड काफी पुराना है

कानपुर:  पेशी के दौरान कोर्ट से अपराधियों के भागने का रिकॉर्ड काफी पुराना है। साल 2005 में दस बंदी पुलिस को गच्चा देकर भाग गए थे। इसी तरह 2006 में आठ, 2007 में चार, 2009 में चार, सन् 2011 में चार बंदी भागे थे। 2011 में 14 बंदियों के भाग गए थे। इसमें 5 जनवरी 2011 को संजय शुक्ला उर्फ पप्पू, 11 फरवरी को नसीम उर्फ भूरा, मार्च में विपिन दीक्षित और राहुल बटई, 21 मई को बंदी चांद उर्फ अरमान और सुनील सैनी, 23 मई को मुजाहिद उर्फ मुन्ना बदरी, 2 जून को नरेश ठाकुर और अजय शर्मा, 5 अगस्त को शातिर राजकुमार उर्फ झुर्री, 23 सितम्ब को सजायाफ्ता कैदी सुशील श्रीवास्तव, 31 अक्टूबर को सुनील गिलट, 9 दिसंबर को राघव शुक्ला फरार हो गया था। इसके बाद जनवरी 2012 की शुरुआत में एनडीपीएस का आरोपी राहुल भी पुलिस को गच्चा देकर निकल गया था। 4 अक्टूबर को दुष्कर्म का आरोपी विजय कुमार भदौरिया भाग गया था। इसी साल बंदी रघुवीर बेरिया सिपाहियों की लापरवाही का फायदा उठाकर भाग गया।