थाना हरीपर्वत के ठीक सामने जलती रही बुलेट

फायर सर्विस स्टेशन का भी नहीं उठा फोन

आगरा। अगर बीच सड़क पर आपकी गाड़ी में आग लग जाती है तो आप पुलिस के भरोसे न रहें। क्योंकि, थाने में आपको फायर एक्सटिंग्यूशर नहीं मिलेगा। कुछ ऐसा ही हाल मंगलवार को शहर की लाइफलाइन एमजी रोड पर हुआ। मंगलवार को थाना हरीपर्वत के ठीक सामने एक चलती बुलेट बाइक में आग लग गई। बाइक सवार आग लगी गाड़ी को खड़ी कर मदद के लिए थाने की ओर दौड़ा और फायर एक्सटिंग्यूशर मांगा। लेकिन थाना हरीपर्वत से उसे निराशा हाथ लगी। पुलिसकर्मियों ने फायर एक्सटिंग्यूशर न होने की बात कही। पुलिसकर्मियों ने सलाह तो दी कि कहीं से पानी लेकर आग बुझा लो लेकिन अपनी ओर से कोई प्रयास नहीं किया।

प्लग शॉर्ट होने के कारण लगी आग

घटना मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे की है। श्रीकांत नामक युवक बुलेट बाइक से अपने साथी के साथ सिकंदरा से वजीरपुरा जा रहा था। जैसे ही दोनों हरीपर्वत चौराहे पर पहुंचे तभी अचानक बुलेट में आग लग गई। आग लगते ही दोनों युवक दहशत में आ गए और उन्होंने किसी तरह चौराहे के पास अपनी बुलेट को खड़ा किया और उतरकर भागे। धीरे-धीरे बुलेट में आग तेजी से बढ़ने लगी। ऐसे में श्रीकांत दौड़कर पास में ही स्थित थाना हरीपर्वत पहुंचा। उसने वहां पर मौजूद पुलिस कर्मियों को पूरी घटना बताई और उनसे फायर एक्सटिंग्यूशर मांगा। पुलिसकर्मियों ने युवक से फायर एक्सटिंग्यूशर न होने की बात कही और सलाह दी कि कहीं से पानी की व्यवस्था करके आग बुझा लो। निराश युवक हताश होकर अपनी गाड़ी को जलते देखता रहा और इधर-उधर फोन भी लगाता रहा।

फायर स्टेशन का भी नहीं उठा फोन

श्रीकांत का कहना है कि इस दौरान उसने फायर स्टेशन को भी फोन मिलाया। 20 मिनट तक लगातार घंटी जाती रही, लेकिन फोन नहीं उठा। आखिर कार वह अपनी बाइक को जलते देखता रहा।

होटलकर्मी ने बुझाई आग

थाना पुलिस और फायर स्टेशन से कोई भी रेस्पांस न मिलने पर श्रीकांत के पास बाइक को जलते देखने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। बाइक से लगातार लपटें बढ़ती ही जा रहीं थी। तभी पास में ही स्थित एक होटल के की सिक्योरिटी ने बाइक से उठती लपटों को देखा तो तत्काल इसकी सूचना होटल के फायर ऑफिसर विकास सारस्वत को दी। इस पर विकास अपने स्टाफ के साथ मौके पर फायर एक्सटिंग्यूशर लेकर पहुंच गए और आग पर काबू पाया।

उठते सवाल

होटल स्टाफ की कोशिशों से श्रीकांत की बाइक में लगी आग पर तो काबू पा लिया गया लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने एक सवाल पैदा कर दिया। इमरजेंसी में लोग पुलिस की मदद को जाते हैं लेकिन जब पुलिस ही मदद नहीं कर पाए तो सवाल तो पैदा होते ही हैं। थाना हरीपर्वत में आग बुझाने के लिए कोई संसाधन न होना एक बहुत बड़ी लापरवाही को उजागर करता है। अगर थाने में ही कोई इस तरह की घटना घटित हो जाती है तो क्या होगा। जबकि यही पर सीओ का भी कार्यालय है। दूसरी ओर फायर स्टेशन का फोन न उठना भी चिंतित करता है।