- शहर के दो अस्पतालों में लग चुकी है आग, फिर भी नहीं चेत रहा विभाग

- कई वार्डो से नदारद हैं अग्निशमन यंत्र, सभी वार्डो में भर्ती हैं हजारों मरीज

- फायर विभाग की मॉक ड्रिल में भी खुल चुकी है पोल

बरेली : करीब 15 दिन पहले जिला अस्पताल व महिला अस्पताल में फायर डिपार्टमेंट ने मॉक ड्रिल किया था। मॉक ड्रिल में ही यहां सुरक्षा इंतजामों के दावों की पोल खुल गई। अस्पताल परिसर में लगे सक्शन पाइप को जिस ओवरहेड टैंक से इसे जोड़ा गया था, उसमें पानी नहीं था। वहीं कई वार्डो में अग्निशमन यंत्र भी नहीं थे। फायर डिपार्टमेंट ने आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम न होने के चलते जिला अस्प्ताल और महिला अस्प्ताल की एनओसी का रिन्यूवल देने से भी इंकार कर दिया। वहीं एक महीने का समय मानक पूरे करने को दिया, इसके बाद भी अस्पताल के अफसरों ने मानक पूरे कराने की जरूरत नहीं समझी। थर्सडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने करीब 12 बजे जिला अस्पताल व महिला अस्तपाल के वार्डो का रियल्टी चेक किया तो दोनों अस्पतालों के ज्यादातर वार्डो से फायर एक्सटिंग्यूशर गायब थे। सबसे पहले टीम जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड पहुंची जहां बच्चों को भर्ती करने के लिए 18 बेड हैं लेकिन आग बुझाने के कोई यंत्र नहीं लगे हुए थे। इसके बाद टीम महिला अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति वार्ड में पहुंची तो यहां करीब 14 महिलाएं और नवजात भर्ती थे, लेकिन वार्ड में आग बुझाने के कोई इंतजाम नहीं थे। इसी प्रकार इमरजेंसी वार्ड, सर्जिकल वार्ड और पेइंग वार्ड से भी अग्निशमन यंत्र गायब थे।

बिना पानी कैसे बुझेगी आग

मॉक ड्रिल के बाद ही फायर विभाग ने विभागीय अफसरों को पानी के टैंक बनवाने के लिए और सक्शन पाइप से जोड़ने का आदेश दिया था, लेकिन विभागीय अफसरों ने इस आदेश को भी हवा में उड़ा दिया। यह छोटी सी चूक बड़े हादसे का सबब बन सकती है।

इन अस्पतालों में लग चुकी है आग

शहर के केके अस्पताल और साई अस्पताल में हाल ही में भीषण आग लग चुकी है। हालांकि इन घटनाओं में कोई अनहोनी नहीं हुई, लेकिन इन बड़ी घटनाओं के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।

वर्जन

मॉक ड्रिल के बाद कई वार्डो में अग्निशमन यंत्र लगवाए गए हैं। टैंक जल्द बनवा लिया जाएगा। एनओसी के लिए जो भी मानक निर्धारित हैं वह पूर्ण कर लिए जाएंगे।

डॉ। केएस गुप्ता, एडीएसआईसी।

वर्जन

स्वास्थ्य विभाग एनओसी के लिए कई बार आवेदन किया जा चुका है, लेकिन निरीक्षण में मानक पूर्ण मिलने के बाद ही एनओसी दी जाएगी।

सोमदत्त सोनकर, एफएसओ।