यह भी जानें
-32000 हजार चार पहिया वाहन जिले में हैं रजिस्टर्ड
-1000 वाहनों में छह माह पहले निरीक्षण के दौरान नहीं लगे मिले थे फायर एक्सटिंग्यूसर
-450 स्कूली वाहनों में नहीं मिला था फायर एक्सटिंग्यूसर
-449 स्कूली वाहन हैं जिले में रजिस्टर्ड
-2000 से 21000 तक का फायर एक्सटिंग्यूसर मिलता है क्षमता के आधार पर
- फायर विभाग परिवहन विभाग की मदद से स्कूली वाहनों की मदद से चलाएगा अभियान
- परमिट रिन्यूवल और फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए आरटीओ जाने पर फायर सेफ्टी की भी होगी चेकिंग
बरेली : शहर में दौड़ रहे स्कूली वाहनों में फायर सेफ्टी के इंतजाम न होने पर अब शिकंजा कसा जाएगा. वाहन चालक चंद पैसे बचाने के चक्कर में स्कूली बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं. फायर विभाग परिवहन विभाग की मदद से ऐसे स्कूली वाहनों की धर पकड़ करेगा, जिनमें फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं हैं. वहीं फायर विभाग के अनुसार छह माह पहले शासन के निर्देश पर जिले में अभियान चलाया गया था, जिसमें करीब 1000 वाहनों में फायर एक्सटिंग्यूसर एक्सपायर मिले थे. इनमें 50 परसेंट स्कूली वाहन भी शामिल थे.
आरटीओ की हेल्प लेगा फायर विभाग
फायर विभाग ने परिवहन विभाग से स्कूली वाहनों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए अनुमति मांगी है. स्कूलों में नया सेशन शुरू होने के बाद फायर विभाग परिवहन विभाग के साथ स्कूली वाहनों की चेकिंग करेगा. फायर सेफ्टी के इंतजाम न मिलने पर वाहनों के चालान काटे जाएंगे. साथ ही अगर दोबारा पकड़े जाने पर वाहनों का परमिट कैंसिल किया जाएगा.
ऐसे होगी कार्रवाई
फायर विभाग ने परिवहन विभाग को भेजे पत्र में कहा है कि जो भी स्कूली वाहन फिटनेस या परमिट रिन्यूवल के लिए आरटीओ पहुंचे तो उन वाहनों में आग से निपटने के इंतजाम भी चेक किए जाएं. वाहनों में फायर एक्सटिंग्यूसर न होने पर परमिट रिन्यू न किया जाए और फिटनेस सर्टिफिकेट न दिया जाए. फायर एक्सटिंग्यूसर लगाने पर ही वाहनों को अप्रूवल दिया जाए.
स्कूलों को भी जारी होंगे नोटिस
फायर सेफ्टी शहर के सभी स्कूलों को नोटिस जारी करेगा. नोटिस में स्कूलों को हिदायत दी जाएगी कि फायर संबंधी रिपोर्ट के अप्रूवल देखकर ही वाहनों को स्कूलों से अटैच किया जाए. साथ ही जिन वाहन स्वामियों के पास रिपोर्ट का अप्रूवल न हो, उनका स्कूल या कॉलेज से अनुबंध खत्म किया जाए. ऐसा न करने पर स्कूलों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
गैस किट लगे वाहनों पर होगी खास नजर
अक्सर वाहन संचालक कम खर्च में अधिक मुनाफा कमाने के लिए वाहनों में गैस किट तो लगवा लेते हैं, लेकिन फायर एक्सटिंग्यूसर लगवाने की जहमत नहीं उठाते हैं. अब ऐसे वाहन भी फायर विभाग के निशाने पर रहेंगे क्योंकि ऐसे वाहनों में आग लगने चांसेज ज्यादा होते हैं. फायर विभाग गैस से चलने वाले वाहनों को प्राथमिकता से फायर एक्सटिंग्यूसर लगवाने के निर्देश देगा.
पहले भी हो चुके हैं कई हादसे
-20 मार्च को हाफिजगंज में पीलीभीत बाईपास रोड पर खड़ी स्कूली वैन में आग लग थी, जिससे बड़ा हादसा होते-होते बचा था.
-फरवरी माह में फरीदपुर में लोटस कॉलेज की बस में आग लग गई थी. इसमें 41 बच्चे सवार थे. इसमें भी बड़ा हादसा होते-होते बचा था.
यह है गाइडलाइन
-स्कूली वाहनों में फायर सेफ्टी के इंतजाम यानि फायर एक्सटिंग्यूसर लगा होना चाहिए.
-स्पे्र वाले सिलेंडर की जगह फोम वाले सिलेंडर लगे होने चाहिए.
-अगर सिलेंडर रीफिल कराया है तो उसकी डेट स्लिप सिलेंडर पर लगी होनी चाहिए.
-प्राइवेट वाहनों में स्कूली बच्चों को लाने पर परमिट लेना आवश्यक है.
-वाहनों में आगे-पीछे स्कूली वाहन लिखा होना जरूरी है.
-स्कूल बस पर स्कूल का नाम व फोन नंबर लिखा होना चाहिए.
-स्कूली वाहन में चालक के अलावा कोई महिला या पुरुष सहायक होना जरूरी है, जो बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखे.
वर्जन ::::
स्कूली व अन्य वाहनों को लेकर आरटीओ विभाग की मदद से अभियान चलाने की योजना तैयार की है. अभियान के तहत वाहनों में लगे फायर एक्सटिंग्यूशर की स्थिति की जांच की जाएगी. स्कूलों को भी नोटिस जारी कर सहयोग मांगा जाएगा. बिना अप्रूवल के कोई भी स्कूली वाहन नहीं चला सकेंगे.
सोमदत्त सोनकर, एफएसओ.
फायर विभाग ने अभियान के लिए मदद मांगी है. यह अच्छा प्रयास है. अब वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने से पहले फायर सेफ्टी की स्थिति की भी जांच की जाएगी.
आरपी सिंह, एआरटीओ प्रशासन.