स्टैनली रोड की कोचिंग में चार पहिया वाहन से पहुंचे से दर्जन भर से अधिक असलहाधारी

फायरिंग से क्लास रूम में मची भगदड़, फीस कम न करने पर मिली थी धमकी

ALLAHABAD: एडमिशन का सीजन शुरू हो चुका है और दबंगों का उत्पात भी। छात्रों से पूरी फीस वसूलकर औना-पौना जमा करके कोचिंग संस्थानों पर एडमिशन का प्रेशर बनाने का गेम फिर शुरू हो गया है। आए दिन कोचिंग संस्थानों पर हमले, बमबाजी और फायरिंग इसकी गवाही देते हैं। बुधवार को तो हद हो गई। दहशत फैलाने के लिए दबंग स्टैनली रोड पर कोचिंग के भीतर घुस गए और क्लास रूप में ताबड़तोड़ फायरिंग झोंक दी। इससे अफरा-तफरी और भगदड़ मच गई। संयोग अच्छा था कि किसी को गोली नहीं लगी।

फीस लेकर हुआ विवाद

कोचिंग संचालक ने बताया कि दो दिन पहले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रनेता आए थे। वे अपने अनुसार फीस तय करना चाहते थे। इससे इंकार करने पर वे भड़क गए और मारपीट पर आमादा हो गए। जाते जाते फिर आने की धमकी दे गए। उनके मुताबिक बुधवार की शाम छह बजे क्लासेज चल रही थी। इसी बीच चार पहिया वाहन से भरकर आए लोगों ने कोचिंग के बाहर से ही फायरिंग शुरू कर दी। गोली चलते ही बच्चों को इधर-उधर किया गया ताकि कोई जख्मी न हो। फायरिंग करते हुए दबंग क्लास में घुस आए और मारपीट करने का प्रयास करने लगे। इस दौरान भी नीचे से गोलियां फायर की जा रही थी। गोली लगने से बिल्डिंग में लगे शीशे चटक गए और कुछ टूटकर नीचे गिर गए।

कोचिंग स्टाफ ने मिलकर दौड़ाया

यह देखकर कोचिंग संचालक ने हिम्मत जुटाई और स्टॉफ के साथ बदमाशों को ललकारा तो वे भागने लगे। कोचिंग संचालक का कहना है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कुछ ऐसे छात्रनेता हैं जो आए दिन फीस माफी को लेकर कुछ न कुछ बवाल करते रहते हैं। अक्सर वे लोग फीस कम करवाने को लेकर धमकी देने के साथ दबाव बनाते हैं। बात मानने से इंकार करने पर हमला बोल दिया।

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फायरिंग का इकोनॉमिक फंडा

मोटी कमाई का जरिया है कोचिंग में एडमिशन

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मई और जून में कोचिंग संचालकों के साथ होने वाली घटनाएं यूं ही नहीं है। इसका भी इकोनॉमिक फंडा है। इससे साथ चलने वाली फौज भी तैयार होती है और मौज-मस्ती पर खर्च का इंतेजाम भी हो जाता है। इस फंडे को कोचिंग संचालक जानते और मानते हैं। लेकिन, अब इसका दायरा बढ़ने लगा है जो कोचिंग संचालकों को रास नहीं आ रहा है।

एडमिशन के समय बनता है प्रेशर

कोचिंग संचालक बताते हैं कि यह समय एडमिशन का है। बाहर से आने वाले बच्चे कोचिंग में प्रवेश लेते हैं। दबंगों का नेटवर्क इतना स्ट्रांग है कि वे इन बच्चों तक आसानी से पहुंच बना लेते हैं। उन्हें अपने पक्ष में करने के नाम पर फीस में छूट दिलाने का वादा करते हैं और सेटिंग के अनुसार दस से बीस फीसदी तक कम पैसा वसूल लेते हैं। इसके बाद शुरू होता है दूसरे चरण का खेल। वह कोचिंग संचालकों को पचास परसेंट भी पैसा नहीं देना चाहते। फ‌र्स्ट प्रायोरिटी होती है फ्री में एडमिशन मिल जाय। बात नहीं बनी तो अधिकतम पचास फीसदी तक पैसे का भुगतान करते हैं। इसी के लिए कोचिंग संस्थानों पर प्रेशर बनाया जाता है। कई बार धमकी से काम चल जाता है तो कई बार फायरिंग और बमबाजी का सहारा लिया जाता है।

दबंगों के लिए फायदे का सौदा

कोचिंग संचालकों का कहना है कि इससे दबंग अपने नेटवर्क को मजबूत तो बनाते ही हैं मौज-मस्ती करने का पैसा भी जुटा लेते हैं। छूट का फायदा मिल जाने पर उन्हें फॉलो करने वाले मिल जाते हैं जो समय-समय पर काम आते हैं। कोचिंग संचालकों का कहना है कि एक-दो एडमिशन हो तो दिक्कत न हो। यहां तो एक-एक बंदा 20 से 25 का बयाना ले लेता है। ऐसा करने वाले एक-दो ही नहीं हैं। इनकी संख्या दर्जनो में है।

हमले दर हमले

बालसन चौराहे के समीप स्थित आईआईटी-पीएमटी की कोचिंग में पिछले सप्ताह हुआ हमला

जार्जटाउन में स्थित सैन्य परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली कोचिंग के बाहर बमबाजी

कर्नलगंज में स्थित कोचिंग के संचालक को धमकाया, असलहे लहराए

बैंक रोड पर स्थित कोचिंग के बाहर हुई फायरिंग

स्टैनली रोड पर कोचिंग संस्थान के भीतर घुसकर फायरिंग