केस 1- मासूम को दस्त, नहीं मिला ओआरएस घोल

5 मार्च 2018 को ट्रेन में बीमार हुए दो बच्चों को बरेली जंक्शन पर इलाज मिला। अमृतसर मेल के एस-1 कोच की बर्थ-58 पर सफर कर रहे ओमकार की 8 महीने की बेटी को उल्टी और दस्त की ट्रेन में शिकायत हुई। ट्रेन में उन्हें बेटी को देने के लिए ओआरएस तक नहीं मिला। बरेली जंक्शन पहुंचने पर उन्हें देखा गया।

केस 2- आंख में लगी चोट नहीं मिला इलाज

हिमगिरी सुपरफास्ट के बी-4 कोच में बर्थ-57 पर 5 मार्च 2018 को सफर कर रहे सलवीक जायसवाल के 2 वर्ष के बेटे को आंख में चोट लग गई थी। ट्रेन की बजाय उसे बरेली जंक्शन पर पहुंचने पर दवा दी गई।

केस 3- नहीं मिला इलाज दस्त से हो गई मौत

अप्रैल फ‌र्स्ट वीक में परिवार के साथ बिहार से दिल्ली जा रहे 70 वर्षीय खक्कर मोची नाम के व्यक्ति की दस्त से मौत हो गई थी। अवध-आसाम से सफर कर रहे खक्कर मोची की शाहजहांपुर में अचानक तबीयत बिगड़ गई। ट्रेन के बरेली जंक्शन पर पहुंचने से पहले ही उनकी सांसे थम गईं।

BAREILLY:

गंतव्य स्थान पर जाने के लिए ज्यादातर लोग आरामदायक सफर के लिए ट्रेन को ही प्रिफर करते हैं। लेकिन, ट्रेनों में सफर करना किसी गुनाह से कम नहीं है। मसलन, सफर के दौरान छोटी-मोटी बीमारी भी हो गई तो नेक्स्ट स्टेशन तक आपके पास दर्द से कराहने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। क्योंकि, पैसेंजर्स ही नहीं एक्सप्रेस, सुपरफास्ट जैसी ट्रेनों में भी न तो फ‌र्स्ट एड बॉक्स मिलेगा और न ही इलाज करने के लिए कोई डॉक्टर।

ट्रेन में नहीं मिलता है इलाज

उपरोक्त मामलों की तरह न जाने कितने यात्री दर्द से कराहते हुए ही सफर करते हैं। कई बार तो रेलवे स्टेशनों पर भी उन्हें इलाज नहीं मिल पाता है। लिहाजा, उन्हें जिला अस्पताल या अन्य निजी अस्पताल भेजा जाता है। जबकि, प्रत्येक ट्रेन में मेडिकल बॉक्स होना कम्पल्सरी है। लेकिन, शायद ही किसी ट्रेन में मेडिकल बॉक्स मिले। यदि, मिल भी जाए तो उसमें जरूरी दवाइयां नदारद मिलेंगी।

नहीं होता है मेडिकल बॉक्स

मेडिकल बॉक्स में दस्त, उल्टी, डायरिया, दर्द निवारक, पेट दर्द, हार्ट, दमा पेशेंट के लिए इनव्हेलर, बैंडेड, मरहम, पट्टी और ओआरएस आदि दवाएं होनी चाहिए। ताकि, इमरजेंसी के दौरान इन दवाइयों की मदद से यात्रियों का समय पर इलाज किया जा सके। इसीलिए टिकट रिजर्वेशन फॉर्म में एक कॉलम डॉक्टर का भी रहता है। जिससे यह पता रहे कि ट्रेन में कोई डॉक्टर सफर कर रहा है कि नहीं। जिससे समय पड़ने पर उनकी मदद ली जा सके।

रेलवे बोर्ड ने दिए हैं निर्देश

यात्री के बेहतर इलाज के लिए रेलवे बोर्ड ने एक आदेश भी जारी किया है। 15 दिन पहले जारी आदेश में रेलवे बोर्ड ने कहा है कि यात्रियों की इलाज की जिम्मेदारी टीटीई की होगी। सफर के दौरान कोई भी समस्या आती है, तो टीटीई को सूचना देनी है। फिर भी रेलवे के अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं।

इसलिए बीमार हो रहे यात्री

बिस्तर की साफ-सफाई नहीं रेलवे ने जिन ठेकेदारों को जिम्मेदारी सौंप रखी है वह चादर, कम्बल और तकिए का ठीक ढंग से साफ-सफाई नहीं कर रहे हैं। बिस्तर एक बार इस्तेमाल होने के बाद उसे लिनैन कॉम्पलेक्स में अच्छी तरह से धोना चाहिए। उसके बाद ही उसका इस्तेमाल करने के लिए दूसरे यात्रियों को देना चाहिए। लेकिन प्राय: ऐसा नहीं होता है।

गंदे सामान की बिक्री - प्राय: ट्रेनों में बैक्टीरिया युक्त खाने-पीने के सामान की बिक्री होती है। वेंडर सुबह से माल तैयार कर लेते हैं। उसे रात तक बेचते रहते हैं। खाने के सामान को ठीक ढंग से ढकते भी नहीं है। मक्खियां और मच्छर भिनभिनाते रहते हैं। ऐसी चीजों को खाने से यात्री बीमार पड़ जाते हैं।

एसी कोच का पैक होना- एसी कोच का पूरी तरह से पैक होना भी एलर्जी का एक कारण बनता है। जब गर्मी से यात्री कूलिंग एसी का प्रयोग करते हैं इस तरह की समस्या स्किन पर हो जाती है। क्योंकि ट्रेन में कई तरह के लोग सफर करते हैं। उनमें पेशेंट भी होते हैं। ऐसे में हवा का पास नहीं होने के कारण संक्रमण बाकी यात्रियों में फैलने का डर रहता है।

बॉक्स मैटर

- 200 के करीब ट्रेनें बरेली जंक्शन से रोजाना अप-डाउन करती हैं।

- 30 हजार से अधिक बच्चे, महिलाएं, पुरुष यात्री बरेली से इन ट्रेनों से सफर करते हैं।

- उल्टी, दस्त, डायरिया, चक्कर और चोट आने जैसी समस्या इन दिनों ज्यादा आ रही है।

सफर में इन बातों का दें ध्यान

- छोटी-मोटी बीमारी से जुड़ी दवाएं घर से कैरी करके सफर पर निकलें।

- पहले से कोई बीमारी है, तो संबंधित डॉक्टर का कांटैक्ट नम्बर पास रखें।

- जिन खाद्य पदार्थो से एलर्जी है उनका सेवन न करें।

- ट्रेनों में बिकने वाले खाने-पीने के सामान के सेवन से बचें।

- एकदम गरम से ठन्डे और ठन्डे से गरम वातावरण में ना जाएं।

- साफ-सुथरे रजाई, गद्दे और तकिए का इस्तेमाल करें।

यात्रियों को इलाज प्रोवाइड कराया जाता है। रेलवे बोर्ड से इस संबंध में लेटर भी आया है, जिसमें टीटीई की जिम्मेदारी तय की है। यदि, कोई यात्री बीमार होता है, तो वह कंट्रोल रूम को सूचना दें। ताकि, पेशेंट को अटेंड किया जा सके।

राजीव कुमार श्रीवास्तव, चीफ स्वास्थ्य अधिकारी