- टेस्ट पास करने के बाद बुधवार को जारी हुआ पहला लर्निग लाइसेंस

- महाराष्ट्र हाईकोर्ट के आदेश बने मूक-बधिरों के लिए लाइसेंस के लिए नजीर

आगरा। मूक-बधिर होने के बावजूद भी बुलंद हौसला, नेक इरादे और अपने व अपने परिवार के लिए कुछ बेहतर करने की इच्छा रखने वाले विवेक की जो एक कमजोरी थी वो भी बुधवार को दूर हो गई। उसकी कमजोरी थी ड्राइविंग लाइसेंस की। दिल्ली में जॉब के साथ ही उसे ड्राइविंग लाइसेंस की हमेशा से खलती थी। जबकि वह बाइक से लेकर कार चलाना अच्छी तरह जानता है। अभी तक मंडल में किसी मूक बधिर का इससे पहले ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं हुआ है।

महाराष्ट्र हाईकोर्ट का आदेश बना आधार

करीब एक सप्ताह पहले तक आगरा में किसी भी मूक बधिर को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए कंशीडर नहीं किया जाता था। स्पष्ट कोई आदेश न होने के कारण उसे वापस ही कर दिया जाता था। बावजूद कई दलीले देने के। पिछले दिनों महाराष्ट्र हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी कर मूक-बधिरों के लाइसेंस बनवाने के निर्देश वहां की सरकार को दिए थे। इसके बाद महाराष्ट्र में करीब 14 हजार से अधिक ड्राइविंग लाइसेंस जारी हुए। महाराष्ट्र हाईकोर्ट का आदेश और वहां पर जारी हुए लाइसेंसों का उदाहरण मूक-बधिर ट्रस्ट ने अन्य प्रदेश और जिलो में दिखाया। उसी के आधार पर यूपी में भी इसे गंभीरता से लिया गया। मूक बधिर ट्रस्ट के अनुसार कानपुर में भी बहुत पहले एक लाइसेंस जारी हुआ था। उसका भी उदाहरण दिया गया।

इसके बाद कई मूक-बधिर इस आदेश की प्रति लेकर अधिकारियों के पास पहुंचे। बुधवार को आगरा के पथौली के मकान नंबर 361 निवासी विवेक कुमार पुत्र ब्रह्मराज सिंह ने लर्निग लाइसेंस का टेस्ट दिया और पास हो गया। इसके लिए विवेक ने सामान्य लोगों की तरह लाइसेंस की पूरी प्रक्रिया अपनाई। इसके बाद उसका परमानेंट लाइसेंस जारी होगा।

संभागीय निरीक्षक सुधीर कुमार भी स्वीकार करते हैं कि पहले उनके पास ऐसा कोई आदेश नहीं था। एक सप्ताह पहले ही मुख्यालय से इस संबंध में आदेश आया है। इसके बाद बुधवार को एक मूक-बधिर का टेस्ट लेकर उसे लर्निग लाइसेंस जारी कर दिया।

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दिल्ली में हैं कार्यरत

पिता से हुई वार्ता के अनुसार विवेक दिल्ली स्थिति मैक्स मॉल में जॉब करता है। वहीं रूम लेकर किराए पर रहते है। जॉब के साथ ही वह इंटरमीडियट की पढ़ाई कर रहा है। उनकी पत्‍‌नी दीपा भी मूक-बधिर है और साथ में ही कार्य करती है। मजबूत कदकाठी है।

दीपा भी करेगी आवेदन

विवेक के पिता ब्रह्मराज सिंह ने बताया कि उसकी पत्‍‌नी दीपा भी कार और दोपहिया वाहन चलाना जानती है। अब उसकी पत्‍‌नी भी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करेगी।

सामान्य लोगों की तरह होती है प्रक्रिया

सामान्य लोगों की तरह ही प्रक्रिया अपनानी होगी। पहले ऑन लाइन फीस जमा कर स्लॉट लेना होगा। निर्धारित तिथि पर उसका लर्निग टेस्ट होगा। पहले लर्निग और इसके बाद परमानेंट लाइसेंस जारी होगा।

वर्जन

आगरा मंडल में यह पहला लाइसेंस है। इसके पहले कानपुर व इलाहाबाद में कुछ मूक बधिर अभ्यर्थियों के लाइसेंस जारी हुए हैं। ऐसे दिव्यांगों के लाइसेंस की फाइल को अलग रखा जाएगा। ताकि आवश्यकता पड़ने पर तत्काल सूचना दी जा सके।

अनिल कुमार

एआरटीओ, प्रशासन