वित्तिय साख के स्तर में बाधक
पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि में उल्लेखनीय सुधार के बावजूद रेटिंग एजेंसी ने बुधवार को कहा कि राजकोषीय घाटे और मुद्रास्फीति का ऊंचा स्तर देश की वित्तिय साख के स्तर को ऊपर करने में बाधक बन रही है. मूडीज इनवेंस्टर्स सर्विस ने सिंगापुर से जारी एक परिपत्र में कहा,'हमारा अनुमान है कि राजकोषीय घाटा, मुद्रास्फीति मध्यम अवधि में कमजोर बने रहेंगे. हालांकि मजबूत वृद्धि से साख संबंधी चुनौतियों से पार पाने में मदद मिलेगी.'

राजकोषीय घाटे को लेकर आशंका
आपको बता दें कि मूडीज की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.7 परसेंट रही जबकि चालू खाते का घाटा 1.7 परसेंट रहा. लेकिन राजकोषीय घाटे की स्थिति और मुद्रास्फीति को लेकर अब भी आशंकायें बरकरार है. साल 2014-15 के बजट में राजकोषाई घाटा 4.1 परसेंट सीमित रखने का लक्ष्य है जबकि जुलाई में थोक मुद्रास्फीति 5.19 परसेंट और खुदरा 7.96 परसेंट थी.

पूरे साल का अनुमान लगाना ठीक नहीं

पहली तिमाही में ही राजकोषई घाटा बजट के लक्ष्य के 61 परसेंट तक पहुंच गया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले दिनों कहा था कि पहली तिमाही के घाटे के आंकड़े को पूरे साल का अनुमान लगाना ठीक नही होता है. उन्होंने कहा था कि पहली तिमाही का आंकड़ा एक तो पिछले साल के कर रिफंड आदि से प्रभावित होता है, दूसरे कंपनियां इस तिमाही में अग्रिम कर का भुगतान कम ही करती है.

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