25 जून 1983 को वर्ल्ड कप में भारतीय टीम ने कपिल देव की अगुवाई में इतिहास रच दिया था। अपराजेय मानी जाने वाली वेस्टंडीज टीम को हराकर टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप का खिताब अपनी झोली में रखा था। लॉड्र्स मैदान पर टॉस हारने के बाद भारत ने पहले बल्लेबाजी कर 183 रन का स्कोर दिया। जिसका पीछा करते हुए वेस्टइंडीज की टीम 140 रनों पर सिमट गई।
ऐसा ही एक वाकया भारतीय टीम के साथ हुआ। साल 2007 के वर्ल्ड कप में बांग्लादेश की टीम ने भारत को 5 विकेट से हराकर बाहर कर दिया था। उस समय भारत की यह बहुत बड़ी थी क्योंकि टीम में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, वीरेंद्र सहवाग, राहुल द्रविड जैसे दिग्गज क्रिकेटर शामिल थे। वहीं उस समय बांग्लादेश की टीम काफी कमजोर मानी जा रही थी।
19 मई 1999 को लीसेस्टर के मैदान पर भारतीय टीम व जिम्बाब्वे की टीम वर्ल्ड कप में उतरी थीं। इस दौरान लोगों को यही उम्मीद थी कि मैच में भारत का पलड़ा जिम्बाब्वे से भारी है, लेकिन उल्टा हो गया। जिम्बाब्वे ने भारत के सामने 252 रनों का लक्ष्य रखा था। इस दौरान टीम इंडिया महज 249 रनों पर सिमट गई। जिससे भारत सिर्फ 3 रनों से हार गया।
2003 में 24 फरवरी का दिन श्रीलंका के लिए मायूसी भरा रहा। वहीं केन्या के लिए यादगार रहा। इस दिन केन्या ने श्रीलंका को वर्ल्डकप में 53 रन से हराया था। लोगों को यह उम्मीद बिल्कुल नहीं थी कि केन्या जैसी टीम श्रीलंका को हरा सकती है।
2011 का वर्ल्ड कप भी काफी उलटफेर वाला रहा है। इस दिन बैंगलोर के मैदान पर आयरलैंड की ने इंग्लैंड की टीम को 3 विकेट से हराया था। इस मुकबाले में इंग्लैंड ने आयरलैंड को 329 रनों का लक्ष्य दिया था। जिससे आयलैंड ने आसानी से हासिल कर उसे हरा दिया था।
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