छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : टाटा मोटर्स ने पहली अप्रैल से चार दिनों का ब्लॉक क्लोजर लिया है. इस दौरान कंपनी से गाडि़यों का उत्पादन पूरी तरह से ठप रहेगा. लेकिन इस ब्लॉक क्लोजर का सीधा असर आदित्यपुर इंडस्ट्रीयल एरिया में टाटा मोटर्स पर आश्रित 800 कंपनियों पर पडे़गा. आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया (आयडा) में 90 प्रतिशत ऐसी कंपनियां हैं जो सीधे टाटा मोटर्स पर आश्रित हैं. ऐसे में टाटा मोटर्स को फोर्जिग, कास्टिंग, मशीन, रिम, नट-बोल्ट, रबर के सामान, कास्टिंग, फाइबर के सामान सप्लाई करने वाली कंपनियां भी चार दिनों तक बंद हो जाएंगी. इन कंपनियों में प्रत्यक्ष रूप से 50 हजार जबकि अप्रत्यक्ष रूप से 1.50 लाख मजदूरों सीधे तौर पर प्रभावित होंगे. उन्हें 31 मार्च रविवार होने के कारण पांच दिनों तक काम नहीं मिलेगा. ऐसे में रोज कमाओ-रोज खाओ की व्यवस्था वाले दिहाड़ी मजदूरों के समक्ष आर्थिक समस्या उत्पन्न हो जाएगी.

माल स्टॉक की अनुमति नहीं

टाटा मोटर्स को माल सप्लाई करने वाले एक उद्यमी का कहना है कि कंपनी की एक पॉलिसी है कि उनकी अनुषंगी इकाइयां अपने यहां उत्पादित किसी भी माल को स्टॉक नहीं कर सकतीं. माल स्टॉक करने से उसमें अगर जंग लग गया तो टाटा मोटर्स की पूरी गाड़ी रिजेक्ट हो जाएगी. हर दिन माल बनाए और उसे सप्लाई करें. ऐसे में ब्लॉक क्लोजर के समय कोई भी कंपनी माल बनाकर उसे स्टॉक भी नहीं कर सकती.

दिसंबर से प्रोडक्शन है डाउन

उद्यमियों का कहना है कि दिसंबर माह से ही ऑटो सेक्टर बाजार डाउन है. इसका सीधा असर टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों के उत्पादन पर भी पड़ता है. बाजार में डिमांड कम होगी तो उत्पादन भी कम होगा. ऐसे में अनुषंगी इकाइयों से भी कम माल लिया जा रहा है. डिमांड कम होने से कई कंपनियों ने अपने यहां शिफ्ट को भी कम कर दिया है.

पिछले साल दिसंबर में भी ब्लॉक क्लोज

टाटा मोटर्स दिसंबर 2018 में पिछला ब्लॉक क्लोजर पांच दिनों का हुआ था. इसमें 18 दिसंबर रविवार था, जबकि कंपनी ने 19 से 22 तक मेंटनेंस के लिए ब्लॉक क्लोजर लिया था. जबकि कुछ यूनियन नेताओं का कहना है कि पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में स्थिति थोड़ी सुधरी है. 2016 से पहले कंपनी एक वर्ष में 18-18 ब्लॉक क्लोजर लेती थी. इससे कर्मचारियों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता था.