ग्रामीणों के विरोध के चलते पिछले पंाच दिन से लोहियानगर में नहीं डल पा रहा था कूड़ा

दिनभर कालोनियों और मिनी डंपिंग ग्राउंड की सफाई में जुटी रही जेसीबी

Meerut। लोहियानगर के डंपिंग ग्राउंड में शनिवार को निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की निगरानी में कूड़ा डलना शुरू हो गया। कूडे़ को लेकर जारी ग्रामीणों के विवाद और विरोध के चलते पिछले पंाच दिन से निगम कूड़ा नहीं डाल पा रहा था। इस मामले में शुक्रवार को निगम द्वारा 12 लोगो के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के बाद निगम का कुछ राहत मिली।

दिनभर दौड़ती रही गाडि़यां

लोहियानगर में सुबह-सवेरे नगर निगम के सुपरवाइजर और सफाई कर्मचारियों की टीम को लोहियानगर के चारों तरफ तैनात कर दिया गया। ग्रामीणों की तरफ से किसी प्रकार का विरोध ना होने पर निगम की कूड़ा गाडि़यों की सुबह से ही कतार लगनी शुरू हो गई। पांच दिन से बंद खड़ी जेसीबी चलने लगी और दिनभर शहर की कालोनियों से लेकर सभी मिनी डंपिंग ग्राउंड का कूड़ा इकट्ठा करके लोहियानगर में डालती रही। वहीं देर शाम तक निगम के कर्मचारियों की टीम लोहियानगर में डटी रही।

400 मीट्रिक टन कूड़ा

निगम अधिकारियों के अनुसार पिछले पांच दिन से शहर में जगह- जगह लगे कूडे़ के ढेर और अधिकतर मिनी डंपिंग ग्राउंड और खत्तों को खाली करके दिनभर में करीब 400 से 500 मीट्रिक टन कूड़ा लोहियानगर में डाल दिया गया।

गाड़ी में बैठे रहे नगरायुक्त

लोहियानगर में निरीक्षण के लिए दोपहर बाद पहुंचे नगरायुक्त कूडे़ की बदबू के कारण इस कदर परेशान हुए की उन्होंने गाड़ी से उतरना तक गवारा नहीं समझा। गाड़ी में बैठे-बैठे ही नगरायुक्त ने सुपरवाइजर से स्थिति की जानकारी ली और वापस चले गए।

विरोध करने वाले ग्रामीणों पर एफआईआर करा दी गई है। अब यदि कोई विरोध करेगा तो उसको पुलिस कार्रवाई से जूझना होगा। निगम द्वारा रोज कूड़ा डाला जाएगा।

डॉ। कुंवर सेन, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

निगम के पास कोई कूड़ा निस्तारण की कोई योजना नहीं है। अगर कोई योजना होती तो अब से पहले ही अमल में लाई गई होती। इतनी फजीहत क्यों होती। कूडा उठे या नहीं लेकिन अब यह लगने लगा है कि इससे निगम का कोई वास्ता ही नहीं है।

मुकेश वत्स

अतिक्रमण के नाम पर गरीबों का आशियाना कैसे उजाड़ना है, योजनाओं के नाम पर कैसे भ्रष्टाचार कैसे करना है, सरकारी काम में दलाल ठेकेदारों कैसे बढ़ावा देना है, यह सब योजनाएं हैं लेकिन कूड़ा निस्तारण की बात मत कीजिए।

तंसीर सैफी

अगर नीति होती तो हमारे शहर में जगह-जगह कूड़े का ढेर न लगा होता। बल्कि हमारा शहर स्मार्ट सिटी में आता। जब तक कूड़े के निस्तारण की नीति नहीं बनेगी, तब तक सफाई अभियान जैसी योजनाओं का पूरा लाभ हमें नहीं मिल सकता।

कल्पना पांडेय

निगम के पास न तो कूड़ा निस्तारण को लेकर कोई नीति है और न ही इच्छाशक्ति। निगम की तो बात छोडि़ए प्रदेश सरकार के पास कूड़ा निस्तारण की कोई नीति नहीं। जो सरकार कोई नीति बनाकर प्रदेश का कूड़ा साफ नहीं करवा सकती, उससे कोई दूसरी उम्मीद करना बेकार है।

मन्नू ठाकुर

बरसात के मौसम में सड़कों, गलियों मोहल्लों और डलावघरों में इकट्ठा होता कूड़ा सिर्फ बीमारियों को जन्म देता है। जिस शहर में कूड़ा निस्तारण नहीं हो सकता, उस शहर की कभी तरक्की नहीं हो सकती। जनता कूड़े और बदबू से बेहाल हो चुकी है।

दीपक अरोरा