-सीएए को लेकर आईआईटी में हुए प्रदर्शन और शांति मार्च में छात्रों को उकसाने के इशारे करते पाए गए, जांच कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट

KANPUR: आईआईटी कैम्पस में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर हुए प्रदर्शन और शांति मार्च में पांच प्रोफेसर फंस गए हैं। इस मामले को लेकर बनी छह सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। जिसमें पांच प्रोफसर्स को स्टूडेंट्स को उकसाने वाले इशारे करते हुए पाया गया है। जल्द ही इस संबंध में बड़ी कार्रवाई भी हो सकती है।

नहीं ली गई थी परमीशन

दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सीएए काविरोध कर रहे छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में आईआईटी कानपुर में छात्रों ने 17 दिसंबर 2019 को शांति मार्च निकाला था। इस प्रदर्शन में बीटेक, एमटेक और पीएचडी के करीब तीन सौ छात्र शामिल हुए थे। इस प्रदर्शन की इजाजत प्रबंधन से नहीं ली गई थी, जबकि आईआईटी प्रशासन ने पहले ही परिसर में किसी भी तरह के प्रदर्शन पर रोक लगा रखी थी। स्टूडेंट्स ने पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज की नज्म भी पढ़ी थी। जांच के लिए संस्थान में लगे सीसीटीवी और मोबाइल कैमरों की रिकार्डिग का इस्तेमाल किया गया।

नहीं उठा डायरेक्टर का फोन

आईआईटी सोर्सेजं का कहना है कि शांति मार्च के वीडियो की जांच में ऐसे सीन हैं जिनमें आईआईटी के पांच प्रोफेसर छात्रों को उकसाने वाले इशारे करते दिख रहे हैं। इनसे छात्र उग्र हो रहे थे। आइआइटी के सुरक्षा कर्मियों ने छात्रों को समझा-बुझाकर शांत किया था। प्रारंभिक जांच में 11 प्रोफेसर शक के दायरे में थे, जिनमें से सात के स्थायी या अस्थायी तौर पर प्रदर्शन में शामिल होने की पुष्टि हुई है। इस संबंध में आईआईटी के निदेशक प्रो। अभय करंदीकर से बात करने की कोशिश की गई तो उनका फोन नहीं उठा। डिप्टी डायरेक्टर प्रो। मणींद्र अग्रवाल से पूछा गया तो उन्होंने इस विषय को गोपनीय बताते हुए कुछ भी कहने से मना कर दिया।

वीडियो वायरल होते ही सनसनी

आईआईटी के प्रो। वाशी शर्मा ने शांति मार्च की वायरल वीडियो आईआईटी प्रशासन को भेज कर प्रदर्शन और फैज की नज्म गाए जाने की जांच की मांग की थी। आईआईटी प्रशासन ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताकर नज्म की जांच कराने से मना कर दिया था।

शहर में लागू थी धारा-144

संस्थान प्रशासन के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि इस प्रकरण में कार्रवाई हो सकती है। प्रदर्शन के दौरान शहर में धारा 144 लागू थी। ऐसे में प्रशासन की इजाजत के बिना किसी भी तरह का प्रदर्शन करना अपराध है।