नई दिल्ली (आईएएनएस)। अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं  70 वर्ष पुराने अयोध्या मामले में मध्यस्थता समिति ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक रिपोर्ट भी सौंपी है। इस दौरान पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य गुरुवार को एक चैंबर में इस रिपोर्ट पर चर्चा कर सकते हैं।

मध्यस्थता समिति ने सील बंद लिफाफे में साैंपी रिपोर्ट

अयोध्या के इस भूमि विवाद को सुलझाने के सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित मध्यस्थता समिति ने बुधवार को कोर्ट में जो रिपोर्ट साैंपी वह सील बंद लिफाफे में थी। मध्यस्थता समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला कर रहे हैं।  इसमें आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर तथा वरिष्ठ अधिवक्ता और प्रख्यात मध्यस्थ श्रीराम पंचू शामिल हैं।

हिंदू व मुस्लिम पक्षकारों के बीच एक तरह का समझौता

सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में हिंदू व मुस्लिम पक्षकारों के बीच एक तरह का समझौता है। रविशंकर ने ट्वीट किया मैं सुप्रीम का अाभार व्यक्त करता हूं जो उसने मध्यस्थता पर भरोषा जताया है। मैं सभी पक्षकारों को उनकी ईमानदार और भागीदारी के लिए धन्यवाद देता हूं। मध्यस्थता की पूरी प्रक्रिया भाईचारे और समझ के भाव से चली जो राष्ट्र के मूल्यों की साक्षी है।

कोर्ट में 6 अगस्त से रोज मामले की सुनवाई हो रही

वहीं राम लल्ला विराजमान के वकीलों का कहना  है कि वे इस मामले में मध्यस्थता नहीं चाहते हैं। इसे लेकर अदालत को फैसला करने दें।  सुप्रीम कोर्ट  इस साल 6 अगस्त से रोजना मामले की सुनवाई कर रही थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई कर रहा है।

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