ऊपरवाले ने मांगने को कहा तो पहले क्या मांगू?

एक बार हकीम लुकमान और उसका बेटा बैठे आपस में बातें कर रहे थे। तभी बेटे ने पूछा पिताजी, 'ऊपरवाले ने पूछा कि बता तेजी रजा क्या है? तो मैं उनसे सबसे पहले क्या मांगू?' लुकमान ने जवाब दिया, 'परमार्थ का धन मांगना।' बेटे ने मन ही मन सोचा ये तो दूसरों को देने के लिए होगा इससे मुझे क्या मिलेगा? फिर पूछता हूं। यह सोचकर उसने फिर पूछा, 'पिताजी, ऊपरवाले ने एक और रजा पूछी तो?' लुकमान ने जवाब दिया, 'बेटा फिर पसीने की कमाई मांग लेना।' बेटे ने सोचा सत्यानाश हो। पसीने की कमाई परमार्थ में लुटाऊं, यह कौन सी बात हुई? चलो एक बार फिर पूछता हूं, शायद इस बार कुछ मेरे लिए हो?

कब आएगा मेरे सुख का नंबर?

बेटे ने फिर पूछा, 'पिताजी, ऊपरवाला फिर कुछ मांगने को कहे तो?' लुकमान भी बेटे के मन की बात समझ रहे थे। फिर भी वे उसके सवालों का जवाब शांति से दे रहे थे। बोले, 'बेटा, इस बार तुम उदारता मांग लेना।' बेटे ने सोचा ये क्या बात हुई? पसीने की कमाई उदारता से दूसरों की भलाई के लिए खर्च करूं? बेटा भी धैर्यवान था सो उसने भी यह सोचकर सवाल पूछने जारी रखे कि कभी तो मेरे सुख का तो नंबर आएगा? उसने फिर पूछा, 'पिताजी, ऊपरवाला फिर मांगने को बोले तो?' लुकमान ने जवाब दिया, 'इस बार शरम मांग लेना, बेटा।' लुकमान के बेटे के मन का जवाब अभी भी नहीं मिला तो उसने एक बार फिर पूछा, 'पिताजी, ऊपरवाला एक बार फिर मांगने को बोले तो?'

इस बार अच्छा स्वभाव मांग लेना

लुकमान ने शांत भाव से जवाब दिया, 'बेटा, इस बार तू अपने लिए अच्छा स्वभाव मांग लेना।' बेटा भी कहां मानने वाला था। उसने फिर पूछा, 'पिताजी, ऊपरवाला...' इससे पहले कि वह अपना सवाल पूरा कर पाता लुकमान ने उसे बीच में ही टोकते हुए कहा, 'बेटा, जिन लोगों के पास ये पांच चीजें होती उन्हें मांगने के लिए कुछ बचता ही नहीं है। यही खुशहाली का रास्ता है। तुम्हे भी इसी रास्ते पर चलना चाहिए। एक बार गहराई से सोच कर देखो, ये सब चीजें जिसके पास भी होगी वह दूसरों को उदारता से देते हुए खुश रहेगा। जब किसी चीज की जरूरत नहीं पड़ती तो व्यक्ति सुखी हो जाता है।'