1. एफडी में इन्वेस्ट करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आपने सही अवधि चुनी है कि नहीं। शुरु में अगर आपने लंबी अवधि के लिए इन्वेस्ट कर दिया है और बीच में आपको एफडी तोड़नी पड़ गई है तो आपको कम रिटर्न मिलेगा।
2. एफडी कराने के बाद आपको टीडीएस टर्म काफी पढ़ने को मिलता है। दरअसल यह एक इनडायरेक्ट टैक्स है जो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जाता है। यह एफडी मैच्योर होने पर नहीं बल्िक फाइनेंशियल ईयर यानी 31 मार्च को कैलकुलेट होता है।
3. किसी बैंक की एक या अधिक ब्रांच में खोले गए एफडी से होने वाली कुल इनकम फाइनेंशियल ईयर में 10 हजार रुपये से ज्यादा है तो उस पर टीडीएस लगता है।
4. एफडी मैच्योर होने पर अगर आप बैंक में क्लेम नहीं करते हैं, तो बैंक को यह अधिकार मिला है कि वो उसे रिन्यू कर दे। लेकिन रिन्यू भी वर्तमान एफडी रेट पर ही होगा।
5. अगर एफडी के डिपॉजिटर की डेथ हो जाती है, तो इस स्थिति में नॉमिनी एफडी की रकम के लिए क्लेम कर सकता है।
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