सायरा बानो
इस मामले में पहला नाम सायरा बानो का है जिन्होंने कुरान सुन्नत सोसायटी के साथ तीन तलाक का मामले में पिटीशन दायर करवायी। सायरा उत्तराखंड के काशीपुर में अपने माता पिता के साथ रहती हैं। सायरा ने इस बारे में आवाज उठाने का फैसला तब किया जब वे अपने चार बच्चों के साथ अपने ससुराल से मायके आयी थीं और उनके पति ने फोन पर तीन बार तलाक कह कर डाक से तलाक नामा भेज दिया। एक फोन पर बोले तीन शब्दों ने सायरा की 15 साल की शादी शुदा जिंदगी पर दी एंड का बोर्ड  लगा दिया। इस के बाद सायरा ने फैसला किया कि वो इसके खिलाफ आवाज उठायेंगी और आज उनकी आवाज को न्याय मिला है।

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आफरीन रहमान
जयपुर की रहने वाली आफरीन रहमान की कहानी भी कुछ अलग नहीं है। आफरीन की शादी एक मैरिज पोर्टल के जरिए हुई थी और शादी के दो महीने बाद ही उनके ससुराल वालों ने उन्हें दहेज के लिए परेशान करना शुरू कर दिया। एक बार मारपीट के बाद ससुराल वालों ने आफरीन को घर से निकल जाने को कहा। वे अपने माता पिता के घर आ गयीं। जहां उन्हें स्पीड पोस्ट के जरिए तलाकनामा भेज दिया गया। इसके बाद आहत आफरीन इसे गलत और अमानवीय बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में दखल देने की गुहार लगायी।

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गुलशन परवीन
इस मामले की तीसरी वादी हैं उत्तर प्रदेश के रामपुर की रहने वाली गुलशन परवीन। एक बेटे की मां गुलशन को उसका पति अक्सर लोहे की रॉड से मारता था इसके बावजूद वो उसके खिलाफ कुछ नहीं कहती थी और अपनी शादी को निभा रही थी। एक बार जब वो अपने माता पिता से तिलने आयी हुई थीं तभी उनके पति ने उनके पास तलाकनामा भेज दिया और शादी तोड़ ली। जब गुलशन ने इसे मानने से इंकार किया तो उनके पति ने रामपुर फेमिली कोर्ट से तलाकनामे के आधार पर तलाक मांग लिया। इसी फैसले को चुनौती देने गुलशन सुप्रीप कोर्ट के पास पहुंचीं।

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इशरत जहां
चौथी वादी इशरत जहां पश्चिम बंगाल की रहने वाली हैं और उन्होंने कई कानूनी आधारों और मुस्लिम पर्सनल लॉ के कई नियमों का हवाला देते हुए तीन तलाक के खिलाफ आवाज उठायी थी। इशरत अपने चार बच्चों के साथ उस समय भारत में थीं जब दुबई में रह रहे उनके पति ने फोन पर तीन बार तलाक कह कर उन्हें अपनी जिंदगी से बेदखल कर दिया।

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आतिया साबरी
इस मामले की पांचवी पिटीशनर हैं सहारनपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली अतिया साबरी। अतिया की कहानी भी बाकी दावेदारों से अलग नहीं है और इसी के चलते वे कोर्ट में पहुंची। अतिया के अनुसार उनके पति के हाथों तलाकनामे के रूप में थमाया गया एक कागज का टुकड़ा उनकी जिंदगी का फैसला नहीं कर सकता।

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