- बाढ़ की तबाही तीन दिनों तक जिंदगी से जंग लड़े परिवार की जुबानी

- एक मीटर जमीन काट घर के पास पहुंच गई गंगा, बाल बाल बचा परिवार

- तीन दिनों तक मौत के साये में रहा सरस्वती के 30 सदस्यीय परिवार का कुनबा

PATNA: सरस्वती बाढ़ का भयावह मंजर याद कर आज भी कांप जाती है। उसका पूरा कुनबा मौत के मुंह में था और सहारे के लिए एक तिनका तक नहीं था। हर तरफ सैलाब और बीच में पूरा परिवार चौकी पर चौकी रख गुहार लगा रहा था। पानी की तेज धार से टकराकर निकल रही आवाज उसे मौत का पैगाम दे रही थी। एक दो घंटा नहीं तीन दिन तक सरस्वती परिवार के फ्0 सदस्यों के साथ गंगा से जिंदगी की भीख मांग रही थी। हर थोड़ी देर पर पास से बह रही नदी की धार जमीन काट रही थी। पेट में अन्न का एक दाना नहीं गया। बड़े तो बड़े मासूम भी पेट की आग को दबाए रहे। तीसरे दिन सरकारी नाव घर के पास दिखी तो लगा कि जिंदगी की जंग जीत गई। नाव घर के बिल्कुल पास आ गई और मांझी ने जैसे आवाज लगाई पूरा परिवार नाव पर सवार हो गया। यह दृश्य देख मदद के लिए गए पंकज मुखिया की आंख भी भर आई। वह पूरे परिवार को सुरक्षित ले गए दूसरे घर पहुंचाए।

- गंगा ने किया सरस्वती का पीछा

तेरसिया गांव की निवासी सरस्वती परिवार के साथ जान बचाकर जहां भागी वहां भी गंगा पहुंच गई और वह परिवार के साथ फिर घर में घिर गई। गांव से थोड़ी ही दूरी पर स्थित पक्के मकान जहां उसका परिवार था वह दूसरे दिन टापू बन गया। ऊंचाई पर बने मकान के चारो तरफ 8 फिट से अधिक पानी भर गया। दुश्वारियां कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। आज भी वह टापू में परिवार के साथ फसी है। खाना पीना तो दूर नित्य क्रिया के लिए भी परिवार को संघर्ष करना पड़ रहा है। बाढ़ का पानी पीने और भूजा खाकर पेट की आग मारने को मजबूर सरस्वती का पूरा परिवार सरकारी उपेक्षा का शिकार हो रहा है।

- जान पर खेल सरस्वती का दर्द जानने पहुंची आई नेक्ट टीम

आई नेक्स्ट की टीम मंगलवार को जान जोखिम में डालकर तेरयिसा गांव में सरस्वती के पास पहुंची। छोटी नाव से वहां पहुंचने में बड़ा खतरा था। बड़ी नावों पर जानवर और सामान ढोए जा रहे थे, इसलिए छोटी नाव मजबूरी थी। लगभग फ् किलो मीटर का सफर तय करने में डेढ़ घंटा लग गया। इस दौरान पानी की तेज धार में कई बार नाव की स्थित गड़बड़ाई। आई नेक्स्ट की टीम हर बाधा पार कर जब सरस्वती के घर पहुंची और उसके जज्बे को देखा तो सब कुछ भूल गया। सरस्वती की तीन दिनों की कहानी किसी हॉरर फिल्म से कम नहीं थी। बाढ़ में सब कुछ बर्बाद हो गया। घर के साथ पूरा सामान खराब हो गया लेकिन उसे खुशी है कि गंगा मइया ने उसके पूरे परिवार की जान बख्श दी है।

गंगा मइया ने मेरे पूरे परिवार की जान वापस कर दी यही मेरे लिए बहुत है। तीन दिनों तक हर आने वाले पल मौत को करीब ला रहा था। दो दो तीन तीन चौकी रख बच्चों की और खुद की जान बचाई है। वह समय सोचती हूं तो शरीर कांपने लगता है।

- सरस्वती देवी

हम तो उम्मीद छोड़ चुके थे। लग ही नहीं रहा था कि परिवार के फ्0 में से किसी सदस्य की जान बच पाएगी। तीन दिनों तक संघर्ष करने के बाद किसी तरह से जान बची है। गंगा मइया का बहुत शुक्र है जो मौत के मुंह से परिवार को निकाल दिया।

- गौरी शंकर

हम तो उम्मीद छोड़ चुके थे। दिन में तो नहीं लेकिन रात में लगता था कि जान निकल जाएगी। कोई भी सो नहीं पाता था। हम अपनी ऊंचाई बढ़ा रहे थे और पानी भी तेजी से बढ़ रहा था। हर पल हिम्मत हारती जा रही थी।

- राधा देवी

अचानक गंगा का पानी बढ़ा जिससे भागने का मौका नहीं मिल सका। हर साल की तरह लगा कि थोड़ा सा बाढ़ आएगा फिर शांत हो जाएगा। लेकिन देखते ही देखते पानी भयावह रूप ले लिया।

- राजमती देवी

पहली बार मौत को करीब से देखा है। बाढ़ का पानी ऐसे बढ़ रहा था जैसे उनकी मौत कहानी लिखने को तैयार हो। घर के सभी सदस्य सुरक्षित बच गए यही बड़ी बात है।

- टुन्नी देवी

घर गया सामान बर्बाद हुआ कोई बात नहीं कम से कम हमारे परिवार के फ्0 लोगों की जान बच गई। पूरा परिवार मौत के मुंह में था। जिंदगी बच गई अब घर फिर बना लेंगे लेकिन परिवार खो जाता तो नहीं मिलता।

- प्रमोद