300

रुपये प्रति मन एक सप्ताह पहले तक दोनों घाट पर मिल रही थीं लकडि़यां

600

रुपये से अधिक हो गया है इस समय प्रति मन लकडि़यों का दाम

60

से अधिक चिताएं पहले एक साथ मणिकर्णिका घाट पर जलती थीं

10

चिताएं ही बाढ़ में जगह कम हो जाने के कारण गलियों में जलाई जा पा रही हैं

01

पैनल शवदाह गृह का पिछले एक माह से तकनीकि खराबी से बंद है

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पैनल पिछले रविवार से स्विच जल जाने के कारण बंद है

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मणिकर्णिका व हरिश्चंद्र घाट पर चिता की लकडि़यां हुई महंगी

प्राकृतिक गैस शवदाह गृह भी हुआ खराब, गलियों में जला रहे शव

VARANASI:

गंगा में बाढ़ ने तटीय इलाकों के वाशिंदों को हलकान कर रखा है। लेकिन काशी में एक और समस्या लोगों को परेशान कर रही है। यहां अंतिम संस्कार के लिए आने वाले लोगों को लकड़ी की महंगाई के साथ शव जलाने के लिए जगह की किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ के पानी से मणिकर्णिका व हरिश्चंद्र घाट डूब चुके हैं। बारिश और बाढ़ से लकडि़यां भीग गई हैं। अब जो बची हैं उनकी कीमत काफी बढ़ गई है। चार दिन पूर्व 250-300 रुपये प्रति मन मिलने वाली लकड़ी अब 600 रुपये प्रति मन से भी आगे निकल गई है। मणिकर्णिका घाट पर 1500 रुपये प्रति क्िवटल लकड़ी है तो हरिश्चंद्र घाट पर भी 1100-1200 रुपये प्रति क्िवटल लकड़ी का दाम पहुंच गया है। बाढ़ से पूर्व हजार रुपये के अंदर प्रति क्िवटल लकडि़यां चीता के लिए मिल रही थीं।

गलियों में लगी शवों की कतार

मणिकर्णिका घाट के सभी प्लेटफार्म डूब चुके हैं। पानी अब गलियों में भी पहुंच चुका है। शव लेकर लोग गलियों में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। पहले जहां एक बार में 50-60 चिताएं जलती थी तो अब एक बार में दस शवों को ही आग मिल पा रही है। यही हाल हरिश्चंद्र घाट पर भी देखने को मिल रहा है। सीढि़यां व घाट पूरी तरह से गंगा में समा चुकी हैं। ऊपरी गलियों के हिस्से में शवों को जलाया जा रहा है।

बारिश में शवदाह गृह ध्वस्त

मुसीबत ये हो गई है कि हरिश्चंद्र घाट पर बना प्राकृतिक गैस शव दाह गृह तकनीकी खराबी के चलते रविवार से ही बंद है। शवदाह गृह के दो पैनल में एक पैनल पिछले एक माह से बंद है। दूसरा पैनल स्विच जल जाने के कारण रविवार से बंद है। ऐसे में घाट पर आने वाले शवों को लकड़ी पर ही जलाया जा रहा है। प्राकृतिक गैस शवदाह गृह की खराबी को लेकर लोगों में रोष देखने को मिल रहा है।

हरिश्चंद्र घाट पर लकडि़यों के दाम में उतना उछाल नहीं है जितना कि मणिकर्णिका घाट पर हुआ है। मणिकर्णिका पर तो डेढ़ हजार रुपये प्रति क्िवटल लकड़ी मिल रही है।

शक्ति चौधरी, हरिश्चंद्र घाट

लकड़ी भीगने और बाढ़ के चलते उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इस वजह से दाम बढ़ गया है। हर साल बाढ़ में लकडि़यों का दाम स्वभाविक तौर पर बढ़ जाता है।

मनोज चौधरी, हरिश्चंद्र घाट