अस्तित्व में नहीं हैं बाढ़ चौकियां, रिश्तेदारों के यहां सिर छिपाते हैं लोग

PRAYAGRAJ: यमुना में अचानक आए उफान ने बाढ़ से निपटने की तैयारियों की पोल खोल दी है। करेली में 48 घंटे में पानी बड़ी समस्या बन सकता है। दावा है कि पब्लिक के लिए सुविधाएं तैयार हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इसे चेक किया तो पोल खुल गयी।

यहां तो लेटर ही नहीं पहुंचा

दावा है कि शहर में 29 बाढ़ चौकियां बनी हैं। करीब आधा दर्जन करेली और मीरापुर में हैं। रिपोर्टर चेतना ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज पहुंचा तो मैनेजर काशान अहमद ने बताया कि स्कूल को बाढ़ राहत केंद्र बनाने की कोई जानकारी नहीं है। इस संबंध में कोई लेटर भी नहीं मिला है। चेक करने पर पता चला कि प्रशासन ने अपनी लिस्ट में इस स्कूल को बाढ़ राहत केन्द्र बना रखा है।

केवल नाम है, आशियाना गायब

सूची में गौसनगर में जेके आशियाना का नाम भी था। रिपोर्टर को यह स्थल सर्च करने में आधे घंटे लग गए। बाद में पता चला कि यह एक मोहल्ले का नाम है। यहां पर प्लाटिंग के बाद घर बन गए हैं। लोगों ने बताया कि बाढ़ आने पर यहां लोग खुद ही सुरक्षित प्लेस तलाशते हैं।

घरों में ताला लगाकर भटकते हैं लोग

गड्ढा कालोनी के रजी बताते हैं कि 2013 में जबरदस्त बाढ़ आई थी। हमारे मकान का डूब गया था। बाढ़ राहत केंद्र न होने पर पहली रात हमें अपनी एसयूवी के भीतर गुजारनी पड़ी। दूसरे दिन एक रिश्तेदार के बरामदे में शरण मिली। इसी एरिया के गोरे ने बताया कि बाढ़ आने पर घरों में ताला लगाकर लोग ऊपरी तल पर रहते हैं। दूसरे लोग नाव से भोजन और पीने का पानी उपलब्ध कराते हैं।

इन एरिया में घुस जाता है पानी

करेली, करैलाबाग, गौस नगर, हड्डी गोदाम, गड्ढा कालोनी, मुन्ना मस्जिद के आसपास के एरिया। यमुना का जलस्तर बढ़ने पर सबसे पहले इन्ही मोहल्लों में जलभराव होता है। यमुना का जलस्तर बढ़ने से इन लोगों में शनिवार को खलबली मची रही।

बाढ़ आने पर शेल्टर नहीं मिलता। रात दूसरे के घरों में बिताने पर मजबूर होना पड़ता है। कई बार सड़कों पर कनात लगाकर रात गुजारी है।

शहजी

कोई इंतजाम तो नजर नहीं आता। पिछली बाढ़ में भी आसपास के लोगों ने खाना बनाकर बंटवाया था। पड़ोसी अपने रिश्तेदारों के यहां रहने को मजबूर हो गए थे।

फैज

करेली में कोई शेल्टर कभी नहीं बनाया जाता है। कभी बना भी तो वहां भी बाढ़ का पानी भर जाता है।

नूर मोहम्मद खान

जो शेल्टर बनाये भी गये हैं, वहां कोई इंतजाम नहीं रहता है। लोगों को अपने रिश्तेदारों के यहां टिकना पड़ता है।

मो। आमिर

सभी दावे खोखले हैं। अब तक मैंने तीन बाढ़ देखी है। हम लोग आगे आकर सड़क किनारे कनात लगाते हैं और लोगों को आश्रय दिया जाता है। उनको भोजन भी मुहैया कराया जाता है।

नफीस अनवर,

पार्षद व कांग्रेस नगर अध्यक्ष