गेंदा, गुलाब फूलों के कारोबारियों ने चलाया अपनी फसलों पर ट्रैक्टर

किसानों का पूरा साल हुआ बर्बाद, प्रशासन से की मदद की अपील

Meerut लॉक डाउन के असर से पूरा शहर क्या थमा शहर के फूल के कारोबारियों का कारोबार ही ठप हो गया है। सवा महीने से जारी लॉकडाउन के कारण फूल के किसानों की खेतों में खड़ी पौध अब खराब होने लगी है। मंडी में फूलों के खरीददार नही हैं ऐसे में अब किसान अपनी लाखों रूपए की फूलों की पौध को खुद नष्ट करने को मजबूर हो गए हैं। हालत यह है कि अपने फूलों को खराब होता देख खुद ही अपने खिले हुए फूलों के बाग पर ट्रैक्टर चलाकर पूरा बाग नष्ट करने में जुटे हैं। इससे किसानों का साल का एक पूरा सीजन और लाखों रुपए का नुकसान हुआ है अब फूलों की खेती करने वाले किसान भी प्रशासन और सरकार से आस लगाने लगे हैं।

शादियों का सीजन डाउन

दरअसल, फूलों की खेती साल में दो बार प्रमुखता से होती है इसमें पहला सीजन जनवरी फरवरी मे शुरु होता है इसके फूल मई जून में पूरी तरह खिल जाते हैं और अप्रैल मई जून जुलाई में शादियों के सीजन के चलते इन फूलों की डिमांड और बिक्री होती है। मंडपों की डेकोरेशन से लेकर वरमाला तक के लिए फूल की भरपूर डिमांड रहती है। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण शादियों का सीजन पूरी तरह खत्म हो गया है ऐसे में मंडी में फूलों के खरीददार नही हैं। खरीदार ना होने के कारण फूल कारोबारियों के खिले हुए फूल अब खेतों में ही मुरझाकर खराब होने लगे हैं।

मंदिर बंद, कहां चढ़ें फूल

वहीं फूलों की दूसरी सबसे बड़ी खपत शहर के मंदिरों में होती है लेकिन लॉकडाउन के दौरान शहर के सभी मंदिर बंद है। ऐसे में मंदिरों में होने वाली फूलों की खपत भी पूरी तरह बंद होने से डिमांड खत्म हो गई है। खरीदार ना होने से अब किसान खुद अपनी ही खड़ी फूलों की फसल को खुद ही उजाड़ने में जुट गए हैं।

पुरानी पौध हुई बेकार

किसानों की मानें तो साल का पहला सीजन पूरी तरह बर्बाद हो गया है। फूल मंडी में बिक नही रहें और खेत में खड़े खडे मुरझाकर खराब होने लगे हैं ऐसे में पिछले चार माह की मेहनत पर पानी फिर गया है। अब किसान नई उम्मीद के साल नवंबर दिसंबर के अगले सीजन के लिए पौध लगाने में जुट गए हैं। इसके लिए पूरे खेत में खड़ी फसल उजाड़ कर अब नई फसल लगाई जाएगी।

वर्जन-

हमारा करीब 5 लाख से अधिक का नुकसान हो गया है। मंडी में फूल बिके नही हैं और पूरा सीजन खराब हो गया है। खेतों में पिछले चार माह से लगी लेबर का वेतन देने तक का पैसा नही बचा है। हमारी सरकार से मांग की है कम से कम हम किसानों को गांव के हिसाब से ही बिजली दे दे। नगर निगम क्षेत्र में आने के कारण हमें कामर्शियल कनेक्शन दिया गया है इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।

- महीपाल सिंह, बाईपास

हमारे बाग के फूलों की सबसे अधिक बिक्री मई जून के शादियों के सीजन में होती है। इस बार शादियों का सीजन ही बिगड़ गया ऐसे में तैयार फूल अब मुरझाने लगे हैं। नष्ट ना करें तो क्या करें।

- राजू, नूरनगर

एक बीघा में 3 से 4 हजार रुपए का खर्च आता है एक सीजन की पौध तैयार करने में, गोबर से लेकर बीज, पोटाश और डाई सभी कुछ लगता है। सीजन के साथ सारी मेहनत खराब हो गई है। अब तो प्रशासन से ही कुछ उम्मीद है कि हमें हमारी लागत ही दे दे।

- अशोक कुमार, लिसाडी