- मिलावटी सामानों से पटा है बाजार

- बैक्टिरियल इंफेक्शन के साथ ही मिल रही हैं कई तरह की बीमारियां

- पेट, लीवर और आंतों को हो रहा है सबसे ज्यादा नुकसान

GORAKHPUR: फेस्टिव सीजन में मिलावटखोर हमेशा ही एक्टिव हो जाते हैं। साल भर लोगों की थाली में थोड़ा बहुत जहर परोसने वाले फेस्टिव सीजन में लोगों को ज्यादा नुकसान पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में मिलावटखोरों की मुनाफा कमाने की भूख लोगों को खाने से दूर कर रही है। हालत यह हो गई है कि कम दाम में मिलावटी सामान पहुंचाकर वह लोगों को अट्रैक्ट कर रहे हैं, जिससे कि लोगों में पेट और लीवर से जुड़ी बीमारियां बढ़ने लग गई हैं। हालत यह है कि फिजिशियन की ओपीडी और प्राइवेट हॉस्पिटल्स में मरीजों की लंबी लाइन है, जहां इलाज कराने के लिए पहुंच रहे लोगों को हजारों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। अब डॉक्टर्स भी इस बात की सलाह देने में लग गए हैं कि जहां तक पॉसिबल हो, खुले और अनब्रांडेड सामानों से तौबा की जाए ताकि सेहत को बरकरार रखा जा सके।

बाहरी फूड पहुंचा रहा है अस्पताल

मिलावटी सामानों का इस्तेमाल करने वाले मरीज लगातार हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। बाहरी फूड का इस्तेमाल करने से पेट से जुड़ी प्रॉब्लम बढ़ गई है, वहीं इंटेस्टाइन और लीवर में भी प्रॉब्लम हो रही है। फिजिशियन की मानें तो उनके क्लीनिक्स और हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों में 70 प्रतिशत इन्हीं प्रॉब्लम से जूझ रहे हैं। ज्यादातर मरीज लोकल मार्केट से सामान लाकर इस्तेमाल करते हैं, जिससे उन्हें यह बीमारी घेर रही है। डॉक्टर्स की मानें तो अगर खुले सामानों का कम से कम इस्तेमाल किया जाए और ब्रांडेड सामान को घर लाया जाए, तो काफी हद तक इस मुसीबत से छुटकारा पाया जा सकता है।

खोवे में यह हो सकती है मिलावट

गंजी, सड़े आलू, मिल्क पाउडर, सिंथेटिक मैटेरियल्स

मिलावटी खोवे से बीमारी

बैक्टिरियल इंफेक्शन, पेट में दर्द, उल्टी, ऐंठन, स्टूल से ब्लड, तेज बुखार, लीवर में केमिकल रिएक्शन होने से उनमें सूजन, छाले पड़ना, रक्त का स्त्राव, चक्कर आना, जी मचलना, पेशाब में जलन

तेल में यह हो सकती है मिलावट

- आर्जीमोन, पाम ऑयल, वेजिटेबल ऑयल, प्योरिफाइड मोबिल ऑयल, घातक केमिकल एसेंस

यह हो सकती है बीमारी

- रतौंधी, स्किन रैशज, आंखों की जलन, लंबे समय तक इस्तेमाल से कैंसर तक हो सकता है

बेकरी फूड में यह हो सकती है मिलावट

- ब्रोमेट, पेस्टिसाइज, सोडियम बाई कार्बोनेट, अजीनोमोटो, बफरिंग मैटेरियल्स, सोडियम बेंजोनेट, घटिया मैदा और दूसरे केमिकल, पेस्ट्री बनाने के लिए नेचुरल मसाले को छोड़ केमिकल मसाले का इस्तेमाल, जैम, अचार को प्रिजर्व करने के लिए हानिकारक रसायन का इस्तेमाल, अचार को पकाने के लिए अन नेचुरल प्रॉसेस और केमिकल से पकाने की कोशिश

इससे हो सकती है यह बीमारी

- पेट में सीवियर जलन, उल्टी, मरोड़, लीवर डैमेज, लॉन्ग टर्म में कैंसर के चांसेज हैं

सोन पापड़ी में यह हो सकती है मिलावट

- खाड़सारी, बकला, खेसरी, लतरी के बीच का पाउडर इस्तेमाल जो देखने में बेसन की तरह, घी की जगह आर्टिफिशियल जानवरों की चर्बी से तैयार ऑयल, और देशी घी के एसेंस, चीनी की जगह सैकरिन

यह हो सकती है बीमारी

- लीवर फैटी, लीवर सिरोसिस, आंतों का कैंसर, एक्यूट फूड प्वॉइजनिंग

क्या बरतें सावधानी

- इनका सेवन कम से कम करें

- रेप्यूटेड और स्टैंडर्ड कंपनीज के प्रॉडक्ट यूज करें

- कॉम्परेटिव सस्ता लेने की कोशिश न करें

- कम से कम सेवन करें

वर्जन

अलग-अलग फूड आइटम्स में अलग-अलग तरह की मिलावट होती है, जिससे बुखार से लेकर कैंसर तक हो सकता है। इसलिए जहां तक पॉसिबल हो, लोगों को रेप्यूटेड कंपनीज के प्रॉडक्ट्स लेने चाहिए। साथ ही लोग यह कोशिश करें कि सामान लेने के दौरान कॉम्परेटिव सस्ता लेने की कोशिश न करें, इससे नुकसान हो सकता है।

- सुधांशु शंकर, फिजिशियन