किसी के पिता बेचते हैं फल तो किसी के पिता हैं ड्राइव व सफाई कर्मी

इंडिया को नंबर वन टीम बनाने का ख्वाब संजो कर कर रहे हैं प्रैक्टिस

ALLAHABAD: शहर में फुटबॉल के साथ-साथ फुटबॉलर्स की कहानी भी बहुत संघर्ष भरी है। फुटबाल के मैदान पर ट्रेनिंग ले रहे ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार से हैं। घर से लेकर ग्राउंड तक गरीबी उनका पीछा नहीं छोड़ रही। फिर भी उनके दिल में कुछ कर गुजरने का जुनून है। यह किसी फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि इलाहाबाद के फुटबाल खिलाडि़यों की रियल लाइफ है।

मुश्किलों से मुकाबला

ग्राउंड पर प्रैक्टिस करने वाले खिलाडि़यों का फैमिली ग्राउंड भी कम इंट्रेस्टिंग नहीं है। किसी के पिता ठेले पर फल बेचते हैं तो किसी के पिता गाड़ी चलाते हैं। कुछ तो ऐसे भी हैं जो सफाई का काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। इसके बावजूद इन खिलाडि़यों का हौसला ऐसा है कि सलाम करने को जी चाहे। इन फुटबॉलर्स के सामने फाइनेंशियल क्राइसिस के चलते इक्विपमेंट्स जुटाने की दिक्कत है। जिस सदर बाजार स्थित ग्राउंड पर वे प्रैक्टिस करते हैं वहां पर भी सुविधा के नाम कुछ नहीं है। जिला प्रशासन से लेकर नेता तक इन्हें सुविधा के नाम पर सिर्फ दिलासा ही देते रहते हैं। लेकिन फिर भी ये लगे हुए हैं।

कॉलिंग

मेरे पापा गाड़ी चलाते हैं। वह हार्ड वर्क करके मुझे पढ़ा रहे हैं। मेरा सपना है कि एक दिन मैं फुटबाल के जरिए देश और पापा का नाम रोशन करूं। इसी लिए मैं छह-छह घंटे प्रैक्टिस करता रहता हूं।

-ऋषभ पाल

मेरे पापा ठेले पर फल बेचते हैं। वह मुझसे अक्सर कहते हैं कि देश के लिए कुछ बड़ा काम करना चाहते थे। स्थितियों ने रोक दिया। मैं उनके सपने को फुटबाल के जरिए एक दिन जरूर पूरा करूंगा।

-रोहन कुमार

कुछ अच्छा करने की चाहत होनी चाहिए। आज कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो गरीबी से उठकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। मेरे पापा सफाईकर्मी हैं। वह हमेशा पढ़ाई और फुटबाल खेल में मेरा हौसला बढ़ाते हैं। इंडिया टीम को नंबर वन बनाने का सपना है।

-अनुराग कुमार

कुछ अच्छा करने के लिए सोच और लक्ष्य होना चाहिए। मेरे पिता जी के पास पान की दुकान है। उनसे मैंने फुटबाल खेलने की इच्छा जताई तो वे कुछ नहीं बोले। बस मुझे स्टेडियम भेजने लगे। मेरा सपना है कि इंडिया टीम नाम रोशन करूं।

-अंकित चौधरी

इन्होंने दी गरीबी को मात।

-सूरज कुमार ओपेन फुटबाल प्रतियोगिता में स्टेट खेले।

-रजनीश पटेल चार बार स्कूल नेशनल व तेलंगाना में खेले।

-अनुराग कुमार गोरखपुर में मंडलीय टीम की तरफ से खेले।

-लकी पांडेय ने मंडल व आल इंडिया नेशनल चैंपियनशिप खेले।

-अंकिता चौधरी ऑल इंडिया ओपेन फुटबाल प्रतियोगिता में खेली।

-कंचन सरोज स्कूल नेशनल में शानदार प्रदर्शन किया।

यह सच है कि ज्यादातर खिलाड़ी गरीब परिवार से हैं। लेकिन उनमें क्षमता व मेधा की कमी नहीं है। उनकी मेहनत एक दिन रंग जरूर लाएगी।

-अरविंद श्रीवास्तव

कोच सदर बाजार फुटबाल स्टेडियम