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GORAKHPUR: शहर में प्राइवेट हॉस्पिटलों के मनमानी के मामले आए दिन आते रहते हैं लेकिन इसके बाद भी इनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती है. जिससे इनका हौसला और बढ़ता जा रहा है. रविवार को पादरी बाजार इलाके के एक प्राइवेट हॉस्पिटल की मनमानी ने मानवता को एक बार फिर तार-तार किया. हॉस्पिटल प्रशासन ने भर्ती मासूम की मौत के बाद पैसे की खातिर कई घंटो तक परिजनों के रोने-चिल्लाने के बाद भी डेडबॉडी नहीं सौंपी. जबकि परिजनों का कहना था कि उनके पास केवल एक लाख रुपए थे जो उन्होंने बच्चे के इलाज में खर्च कर दिया. ये बताकर परिजन काफी देर तक हॉस्पिटल प्रशासन से गिड़गिड़ाते रहे. लेकिन इससे भी उनका दिल नहीं पसीजा. जानकारी के बाद पहुंची दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम के अथक प्रयास से आठ घंटे बाद किसी तरह कागजी औपचारिकता पूरी करने के बाद मासूम की डेडबॉडी परिजनों के हवाले की गई.

रविवार को भोर में हुई बच्चे की मौत
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम के पास रविवार को सुबह मोबाइल पर एक कॉल आई. उधर से आवाज आई कि सर मुझे आप के मदद की जरूरत है. मैं बिछिया का रहने वाला राहुल बोल रहा हूं. मेरी भाभी शोभा 28 अप्रैल से बच्चे के साथ पादरी बाजार स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल के एनआईसीयू में भर्ती हैं. जिसका इलाज चल रहा था. रविवार की भोर में करीब पांच बजे बच्चे की मौत हो गई. जब डेडबॉडी लेने पहुंचे तो हॉस्पिटल प्रशासन ने डेडबॉडी देने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि हॉस्पिटल में 22 दिन के इलाज में एक लाख से अधिक की रकम खर्च हो चुकी है. मेरे पास एक भी पैसा नहीं बचा. बार-बार कहने के बाद भी जिम्मेदार और पैसे की डिमांड कर रहे थे. उनका कहना था कि जब तक बकाया रकम नहीं मिलेगा बच्चे की डेडबॉडी नहीं दी जाएगी. परिजनों की शिकायत के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम हॉस्पिटल पहुंची. इस संबंध में वहां मौजूद स्टाफ से बात की. उनका कहना था कि जब तक रकम नहीं दी जाएगी तब तक डेडबॉडी नहीं मिलेगी. टीम ने इस संबंध में हॉस्पिटल के प्रबंधक से बात की. काफी प्रयास के बाद करीब 12 बजे हॉस्पिटल प्रशासन ने कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद परिजनों को डेडबॉडी सौंपी.

जन्म के बाद अचानक हालत बिगड़ी
बिछिया के रहने वाले विकास की पत्‌नी शोभा ने मई माह में जिला महिला अस्पताल में बेटे को जन्म दिया. इस दौरान बच्चे की हालत बिगड़ गई. राहुल ने बताया कि 11 दिन के बच्चे को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचा लेकिन वहां बेड न खाली होने की वजह से शहर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया. वहां डॉक्टर्स ने एनआईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया. मगर उसकी जान नहीं बच सकी.

ब्लड भी दिया फिर भी नहीं बची जान
डॉक्टर ने बताया कि बच्चे को ब्लड की कमी है. इसके बाद परिजनों ने ब्लड की व्यवस्था कराई. हालांकि बच्चे को ब्लड भी चढ़ाया गया लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी.