पहले क्यों नहीं हुआ ट्रायल
नरसिंह ने सुशील से पूछा कि उनको उस वक्त ट्रायल की याद क्यों नहीं आई जब उनको बिना किसी ट्रायल के 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स भेजा गया था। उनको उस वक्त ये बात कहनी चाहिए थी कि वो ट्रायल में जीतने के बाद ही ग्लासगो जाएंगे। नरसिंह ने कहा कि सुशील 66 किलोग्राम भार वर्ग में खेलते थे लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने पहली बार 74 किलोग्राम भार वर्ग में हिस्सा लिया तो ऐसे में उनका ट्रायल होना चाहिए था। लेकिन मैंने तब भारतीय कुश्ती महासंघ के फैसले का सम्मान किया था, जबकि मैं शुरू से ही 74 किलोग्राम भार वर्ग में हिस्सा लेता आया था।

पीछे हटे सुशील
नरसिंह ने बताया की उन्होंने इंचियोन एशियन गेम्स 2014 में जाने के लिए ट्रायल की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन उस वक्त सुशील यह कह कर हट गए थे कि उन्हें चोट है। ऐसे में कुश्ती महासंघ ने उनको मौका दिया था और उन्होंने देश को पदक भी दिलाया था। नरसिंह ने ये भी कहा कि सुशील को तब भी ट्रायल की याद आनी चाहिए थी जब सुशील खुद नहीं बल्की वो खुद इस विश्व चैंपियनशिप को खेलने गए थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि वो इस बात को जानते हैं कि एशियन गेम्स और विश्व चैंपियनशिप के मुकाबले कॉमनवेल्थ में पदक जीतना आसान है।

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