ऐसा है सैनिक स्कूल में छात्राओं का डेली रूटीन
लखनऊ (प्रेट्र)। सैनिक स्कूल में इन 15 छात्राओं के दाखिले की राह भी आसान नहीं थी। यहां पर करीब 2,500 छात्राएं उम्मीदवार थीं। इस स्कूल के प्रिंसिपल कर्नल अमित चटर्जी ने पीटीआई से बात करते हुए बताया कि रोजाना छात्राओं का दिन सुबह 6 बजे की पीटी के साथ शुरू होता है। इसे बाद  8.15 बजे सभी छात्राए प्रार्थना के लिए जाती हैं। इसके बाद पढाई शुरू होती है। स्कूल क्लासेज पूरी होने के बाद उन्हें थोड़ा सा टाइम रेस्ट के लिए दिया जाता है। आराम करने के बाद वे खेलों में भाग लेती हैं। इसके बाद शाम को 7 बजे से फिर उनकी पढाई शुरू हो जाती है। इस दौरान यह पूछे जाने पर कि यहां पर एक नए माहौल में ये छात्राएं कैसा महूसस कर रही हैं। इस पर उन्होंने बताया कि उन्हें यहां काफी अच्छा लग रहा है। इस संस्थान का हिस्सा बनकर सभी लड़कियां गर्व महसूस कर रही हैं। वे अपने जीवन में कुछ अलग करने की चाहत रखती हैं।

देश के अन्य सैनिक स्कूलों के लिए बड़ा उदाहरण
स्कूल के रजिस्ट्रार लेफ्टिनेंट कर्नल उदय प्रताप सिंह का कहना है कि इस स्कूल द्वारा आयोजित हुई लिखित प्रवेश परीक्षा में तकरीबन 2,500 लड़कियां शामिल हुई थी। इसके बाद इसके बाद साक्षात्कार के बाद सिर्फ 15 लड़कियों को दाखिले के लिए चुना गया। सभी छात्राएं कक्षा 9 के लिए चुनी गई हैं। खास बात तो यह है कि इन चयनित 15 छात्राओं में सिर्फ डॉक्टर, पुलिस, टीचर के परिवारों की ही नहीं बल्कि किसान परिवार से भी लड़कियां है। उन्होंने बताया कि लडकियों को सैनिक स्कूल में लेने का प्रस्ताव बीते साल उत्तर प्रदेश सरकार को भेजा गया था। छात्राओं को प्रवेश देने से पहले स्कूल ने कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर का काम खुद के खर्चे पर कराया था। लड़कों के हॉस्टल्स में ही कुछ हिस्से को खाली कराकर उसे लड़कियों के लिए तैयार किया गया। उनका कहना है कि यह स्कूल देश के अन्य सैनिक स्कूलों के लिए एक बड़ा उदाहरण होगा।  

विगत 57 वर्षों तक युवा प्रतिभा को पोषित कर रहा
वहीं स्कूल के एक शिक्षक एसटी मिश्रा का कहना था कि लड़कियों का प्रवेश यहां लड़कों के लिए सहायक साबित होगा क्योंकि इससे उन्हें नए पर्यावरण में समायोजन और सामजस्य बिठाने की आदत बनेगी। उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित यह सैनिक स्कूल 1960 में स्थापित किया गया था। देश में स्थापित होने वाला यह पहला स्कूल है जो विगत 57 वर्षों तक युवा प्रतिभा को पोषित कर रहा है। इसके बाद ही देश के अन्य जगहों पर करीब 27 और सैनिक स्कूल खोले गए। यूपी के इस सैनिक स्कूल से पढ़े अब तक करीब 1,000 से ज्यादा स्टूडेंट सेना के अधिकारी बन चुके हैं। इसके अलावा यह देश का पहला ऐसा स्कूल भी बन चुका है जहां के छात्र मनोज पाण्डेय को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है।

देश का पहला स्कूल जो रक्षा मंत्रालय के अधीन नहीं   
वहीं इस संबंध में स्कूल के अन्य कर्मचारियों का मानना ​​है कि इस कदम से संस्थान के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत होगी। वहीं इस स्कूल का नाम जुलाई बीते साल 2017 में यूपी सैनिक स्कूल से कैप्टन मनोज पाण्डेय सैनिक स्कूल करने की पहल हुई थी। बतादें कि लखनऊ का यह स्कूल, सैनिक स्कूल सोसाइटी द्वारा चलाया जा रहा है। इस स्कूल की फंडिंग उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की जाती है। यूपी के सीएम ही इसके चेयरपर्सन होते है। वहीं लखनऊ कमिश्नर इसके चेयरमैन और स्कूल के प्रिंसिपल इसके सचिव होते हैं। यहीं स्टाफ स्कूल की मॉनिटरिंग करता है। खास बात तो यह है कि यह देश का पहला ऐसा स्कूल है जो सेना या रक्षा मंत्रालय के अंडर में नहीं आता है।

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