1150 पेड़ हटाने के लिए वन विभाग ने मांगे 74 लाख

-बरेली-शाहजहांपुर रोड पर नकटिया नदी पर नया पुल बनाने के लिए हटाए जाने हैं पेड़

-सेतु निगम ने रकम देने से खड़े किए हाथ, डीएम को भेजा लेटर

बरेली। बरेली-शाहजहांपुर रोड पर नकटिया नदी पर बन रहे ओवरब्रिज में अब वन विभाग पेंच फंसा दिया है। पुल के निर्माण में बाधा बन रहे 1150 पेड़ों को शिफ्ट करने के लिए वन विभाग ने दस माह पहले दिए गए अपने एस्टीमेट में बदलाव करते हुए अब 74 लाख रुपए का रिवाइज एस्टीमेट सेतु निगम को भेज दिया है। वन विभाग के एस्टीमेट को देखने के बाद सेतु निगम के अधिकारियों ने इतनी रकम देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। डीएम को पत्र भेजकर इनकी रकम देने से इनकार कर दिया है।

पहले मांगे थे 7.9 लाख रुपए

7 सिंतबर 2018 से शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में 0.437775 हेक्टेयर संरक्षित भूमि वन विभाग की है। इस जमीन पर निर्माण कार्य के लिए सेतु निगम ने वन विभाग से एनओसी मांगी थी। इस जमीन पर लगे पेड़ों को शिफ्ट करने के लिए वन विभाग ने 13 दिसंबर 2018 को 7 लाख 92 हजार 843 रुपए का एस्टीमेट सेतु निगम को दिया था। अब 10 माह बाद वन विभाग ने रिवाइज एस्टीमेट भेज दिया। जिसमें 74 लाख 36 हजार 52 रुपये की मांग पेड़ों की शिप्टिंग और उनके 10 वर्षो तक देखरेख के लिए की है।

काम हो रहा प्रभावित

वन विभाग से रिवाइज एस्टीमेट मिलने के बाद सेतु निगम के मुख्य परियोजना प्रबंधक देवेंद्र सिंह ने डीएम को इसके लिए लेटर भी भेज दिया है। जिसमें उन्होंने बताया कि इतनी धनराशि देना संभव नहीं है। पेड़ शिफ्ट न कराए जाने से पुल निर्माण एवं पहुंच मार्ग का निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है।

मंत्री की समीक्षा बेअसर

बता दे कि यह प्रोजेक्ट शासन की प्राथमिकता में शामिल है। इसकी समीक्षा केंद्रीय मंत्री संतोष कुमार गंगवार करते हैं। बावजूद इसके काम प्रभावित हो रहा है। बता दें कि अभी तक 50 परसेंट से ज्यादा का काम अधूरा है।

इस आधार पर मांगा पैसा

डीएफओ भारत लाल के पत्र के मुताबिक सिंतबर में सेतु निगम को रिवाइज एस्टीमेट भेजा गया। जिसमें 1115 पौधों को लगाने और 10 वर्षो तक उनके रखरखाव के लिए 71 लाख 62 हजार 5 रुपए लगेंगे। जबकि भूमि का शुद्ध वर्तमान मूल्य (एनपीवी) 2 लाख 74 हजार 47 रुपए तय की गई है।

वन विभाग ने रिवाइज एस्टीमेट भेजा है, जिसमें 10 गुना ज्यादा पैसे की डिमांड की गई है। जो दिया जाना संभव नहीं है। इसके चलते डीएम को लेटर भेजा गया है, ताकि समस्या का समाधान हो सके।

-वीके सेन, उप परियोजना प्रबंधक, सेतु निगम