विभागीय जांच में पकड़े जा रहे फर्जी स्मार्ट डीएल

टै्रफिक पुलिस के पास भी नहीं है इसे चेक करने की मशीन

Meerut। आरटीओ में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने जा रहे हैं तो सावधान हो जाएं। स्मार्ट कार्ड के नाम पर फर्जी डीएल बनाने वाले दलालों का गिरोह कार्यालय के आसपास सक्रिय है, जो आवेदकों को फर्जी स्मार्ट डीएल पकड़ाकर धोखा दे रहे हैं। फर्जी लाइसेंस इस कदर सफाई से बनाया जाता है कि उसे बिना ऑनलाइन वैरीफिकेशन के पहचानना मुश्किल होता है।

करेक्शन में पकड़ा गया

दरअसल गत सप्ताह आरटीओ कार्यालय में अपने लाइसेंस में करेक्शन कराने पहुंचे एक आवेदक ने जब ऑनलाइन आवेदन किया तो उसके लाइसेंस को सॉफ्टवेयर ने इनवैलिड बता दिया। लाइसेंस की जांच की गई तो पता चला कि लाइसेंस की चिप भी नकली थी और वह कार्ड केवल किसी लाइसेंस की स्कैंड इमेज था।

ब्लैंक कार्ड पर प्रिंट हो रहे

दरअसल नकली ड्राइविंग लाइसेंस पर रोक लगाने और इस व्यवस्था को हाईटेक करने के उददेश्य से परिवहन विभाग ने करीब आठ साल पहले स्मार्ट डीएल की व्यवस्था शुरु की थी। कार्ड में एक चिप के अंदर आवेदक की पूरी जानकारी फीड रहती है। वहीं इस कार्ड पर लिखे 11 डिजिट के नंबर के माध्यम से आवेदक की पूरी जानकारी को ऑनलाइन चेक किया जा सकता है, लेकिन आरटीओ के बाहर मौजूद दलालों ने इसका भी तोड़ ढूंढ लिया। प्लास्टिक के ब्लैंक कार्ड स्मार्ट डीएल की स्कैन इमेज के साथ आवेदक का फोटो पि्रंट कर फर्जी डीएल बनाया जा रहा है।

नंबर और चिप में खेल

इस स्मार्ट डीएल पर लिखे 11 डिजिट के नंबर को वर्तमान में चल रही लाइसेंस की सीरीज से मैच करते हुए नंबर प्रिंट किया जाता है। इसमें जनपद का कोड और वर्ष को बिल्कुल सही प्रिंट किया जाता है, बाकी अंक फर्जी होते हैं। चिप को इस तरह से पि्रंट किया जाता है कि उसकी असली नकली की पहचान ही नही हो पाती। आवेदक ऑनलाइन चेक किए बिना ही लाइसेंस ले जाते हैं, इसलिए फर्जी लाइसेंस पकड़ में नहीं आता।

नहीं है चेकिंग मशीन

लाइसेंस की ऑनलाइन जांच के अलावा केवल मशीन द्वारा चिप स्कैन करके असली नकली का पता लगाया जा सकता है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस के पास अभी स्मार्ट कार्ड स्कैन करने की मशीन उपलब्ध नहीं है, जिस कारण से यह लाइसेंस ऑन रोड चेकिंग में पकड़ में नही आ पाता।

आधार कार्ड, स्मार्ट कार्ड व कई अन्य ऐसे कार्ड बाजार में उपलब्ध हैं जिनका मानक साइज एक ही है। इनको आसानी से स्कैन कर प्रिंट किया जा सकता है। लाइसेंस नंबर से ऑनलाइन चेक करना जरूरी होता है।

चंपा लाल निगम, आरआई

स्मार्ट डीएल के फर्जी केस का अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है। अगर इसे चेक करने की कोई मशीन आती है तो उसे खरीदा जाएगा। इसके बारे में वह मंगलवार को आरटीओ से भी वार्ता की जाएगी।

संजीव वाजपेई, एसपी ट्रैफिक