PATNA (24 May)

कोरोना वैश्रि्वक महामारी को लेकर सरकार की ओर से लागू किए गए लॉकडाउन के कारण प्रदेश से बाहर फंसे प्रवासियों को अब सरकार उनके घरों तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल व स्पेशल ट्रेन का संचालन कर रही है। ऐसी ही दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन रविवार को गांधीधाम और दादरी से दानापुर रेलवे स्टेशन पहुंची। जैसे ही ट्रेन स्टेशन पर रुकी, यहां उतरे प्रवासियों को अपने घर जाने की इतनी जल्दी थी कि वे सोशल डिस्टेंसिंग भी भूल गए। स्टेशन पर पर्याप्त पुलिस बल और मेडिकल टीम नहीं होने के चलते कई लोग बिना जांच-पड़ताल के ही स्टेशन परिसर से बाहर आने लगे। इनको कंट्रोल करने के लिए वहां तैनात पटना जिला प्रशासन और रेलवे प्रशासन के जवान भी इस भीड़ से दूर जाते दिखाई पड़े। डॉक्टरों की मानें तो इस भीड़ में अगर एक भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति होगा तो सैकड़ों लोग संक्रमित हो सकते हैं।

3 हजार प्रवासी पहुंचे

गांधीधाम और दादरी से आने वाले श्रमिक स्पेशल ट्रेन से रविवार को 3000 प्रवासी दानापुर रेलवे स्टेशन पहुंचे। स्टेशन परिसर में पटना जिला प्रशासन की ओर से मेडिकल टीम की व्यवस्था नहीं होने के चलते ट्रेन से उतरते ही यात्री तितर-बितर होने लगे। स्थिति यह हो गई कि भीड़ को कंट्रोल करने के लिए वहां मौजूद सिपाही भी इनके बीच संक्रमण के डर से जाने से बचने लगे। सिपाही भीड़ से अलग हो गए जिस वजह से यात्रियों का न तो मेडिकल चेकअप हुआ न ही उन्हें फूड पैकेट दिया गया।

- परिवहन विभाग के सभी दावे फेल

परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए प्रतिदिन 3500 से 4000 बसों की व्यवस्था करने की बात कह रहे हैं, मगर दानापुर श्रमिक स्पेशल ट्रेन से उतरे यात्रियों ने विभाग के सभी दावे का पोल खोल दिया है। ट्रेन से उतरने के बाद यात्रियों को जिला मुख्यालय भेजने के लिए स्टेशन परिसर में पर्याप्त बसों की व्यवस्था नहीं की गई थी। जिस वजह से पहले तो यात्री नाराज हुए, लेकिन फिर अपने घर पहुंचने की लालसा के कारण एक और परीक्षा देने को तैयार दिखे। यात्रियों को घरों अपने जिला मुख्यालय जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।

- बसों में ठूस-ठूस कर भरे गए यात्री

श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आने वाले यात्रियों को दानापुर रेलवे स्टेशन पर पर्याप्त बस नहीं होने के चलते ठूस ठूस कर सामान की तरह भरा गया। जगह नहीं होने पर प्रवासियों को इस चिलचिलाती गर्मी में बस की छत के ऊपर तक बेठने को मजबूर होना पड़ा। इस संबंध में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने जब पटना जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से बात की तो अधिकारियों ने बताया कि बसें स्टेशन के समीप नहीं लगी थी। कुछ बसें स्टेशन से बाहर दिखीं तो यात्री अपने मन से बस के ऊपर चढ़ गए।

- ट्रॉली और कुली की कोई व्यवस्था नहीं

लॉकडाउन के बाद पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलने पर पटना जिला प्रशासन की ओर से दानापुर स्टेशन परिसर में प्रवासियों की सुविधा के लिए कुली और ट्रॉली की व्यवस्था की गई थी। मगर यात्रियों की संख्या बढ़ने के बाद जिला प्रशासन के सभी व्यवस्थाएं फेल हो गईं। रविवार को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से उतरने वाले यात्रियों के लिए न तो कुली की कोई व्यवस्था की गई थी न ही स्टेशन पर एक भी ट्रॉली दिखी। जिस वजह से यात्री सिर पर सामान लादकर बसों तक पहुंचे।

- 864 श्रमिक स्पेशल ट्रेन से आए हैं 13 लाख प्रवासी

रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक बिहार में अब तक 864 श्रमिक स्पेशल ट्रेन से 13 लाख प्रवासी आए हैं। अगले 10 से 15 दिनों में 1500 स्पेशल ट्रेन का परिचालन किया जाएगा जिससे 15 लाख से अधिक प्रवासी बिहार पहुंचेंगे।

- संक्रमण बढ़ने का खतरा

राज्य सरकार की ओर से रेलवे स्टेशनों पर पर्याप्त मात्रा में मेडिकल टीम और फोर्स की व्यवस्था नहीं होने पर बाहर से लौटने वाले प्रवासी बिना मेडिकल चेकअप के ही अपने होम डिस्ट्रीक लौट रहे हैं। डॉक्टरों की मानें तो अगर राज्य सरकार प्रवासियों को मेडिकल चेकअप किए बगैर घर लौटने की इजाजत देगी तो बिहार में कोरोना संक्रमण दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जाएगा।

ऐसा नहीं है की स्टेशन पर मेडिकल चेकअप नहीं किया गया। आजकल प्रवासी ज्यादा लौट रहे हैं इसलिए स्टेशन परिसर में भीड़ ज्यादा है। सोशल डिस्टेंसिंग का अगर कोई पालन नहीं कर रहा है तो यह गलत है। स्टेशन परिसर से आगे जाकर बस लगी हुई थी प्रवासी अपने मन से बस पर चढ़ गए।

- कुमार रवि, डीएम पटना