मुठ्ठीगंज पुलिस ने क्राइम ब्रांच के सहयोग से पांच तस्करों को दबोचा

prayagraj@inext.co.in

PRAYAGRAJ: क्राइम ब्रांच की टीम ने मुठ्ठीगंज पुलिस के सहयोग से दुर्लभ प्रजाति के पेंगोलिन के साथ पांच तस्करों को पकड़ा। एसएसपी नितिन तिवारी ने सभी को मीडिया के सामने पेश किया। उन्होंने बताया की इंटरपोल की रिपोर्ट में पेंगोलिन को विश्व में सबसे अधिक अवैध व्यापार किए जाने वाले वन्य जीव के रूप में चिन्हित किया गया है।

बेचने की थी योजना

एसएसपी के अनुसार तस्करों में पूर्व सांसद राम निहोर राकेश का बेटा रितेश कुमार निवासी सिविल लाइंस, नुसरत हुसैन पुत्र मुजफ्फर हुसैन निवासी घूरपुर, हरिमोहन गुप्ता पुत्र एसएन गुप्ता कर्नलगंज, अखिलेश शुक्ला पुत्र सूर्यमणि शुक्ला मेजा व जय प्रकाश शर्मा पुत्र स्व। गनेश लाल शर्मा निवासी नैनी शामिल है। इनके पास से एक चार पहिया वाहन भी बरामद हुआ है। पेंगोलिन की परतदार खाल का इस्तेमाल कर शक्ति वर्धक दवा, ड्रग्स, बुलेट फ्रुफ जैकेट व कपड़े बनाए जाते हैं। सभी तस्कर काफी समय से इस धंधे से जुड़े हुए थे। बड़े पैमाने पर इसकी तस्करी की शिकायतें मिलने के कारण आईपीएस सुर्किती माघव के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच की टीम को लगाया गया था। टीम ने मुठ़्ठीगंज पुलिस के सहयोग से तस्करों को यमुना पुल के पास से पकड़ा।

दवाओं में होता है इस्तेमाल

वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो पेंगोलिन घने जंगलों और गर्म जगह पर पाया जाता है। भारत के लगभग 14 राज्यों में पाया जाने वाला लगभग 4 फीट लंबा यह वन्यजीव अत्यंत शर्मिला होता है। चींटी और दीमक इसका मुख्य भोजन है। देश में इनकी 2 प्रजातियां पाई जाती हैं। पूर्वोत्तर भारत में चाइनीज पेंगोलिन और अन्य राज्यों में इंडियन पेंगोलिन पाया जाता है। पेंगोलिन का शिकार मुख्य रूप से उसके शरीर पर उभरे हुए खोल के लिए किया जाता है। इसकी मांग चीन, हांगकांग, सिंगापुर, मलेशिया, आदि देशों में शक्ति वर्धक दवाइयां और जैकेट बनाने के लिए की जाती है। साल 2018 में सीटेस के साउथ अफ्रीका अधिवेशन के दौरान विश्व भर में पेंगोलिन की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे दुर्लभ प्रजाति के जीवो में शामिल किया गया। वन्य प्राणी अधिनियम 1972 के तहत इस जीव को एक श्रेणी में रखा गया है। इसके शिकार पर प्रतिबंध है। नियमों के तहत शिकारी को सात साल तक के कठोर कारावास का प्राविधान है।