नई दिल्ली (पीटीआई)। सर्वोच्च न्यायालय एक याचिका की सुनवाई कर रहा है। इसमें संसद और राज्यों की विधानसभाओं के प्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित मुकदमों की तेजी से सुनवाई के लिए अनुरोध किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरलों को निर्देश दिया था कि वे सभी लाॅमेकर्स के खिलाफ लंबित मुकदमों की सूची भेजें। इनमें पूर्व सांसद और विधायकों की आंकड़े भी मांगे गए थे।

2,556 मामलों में सिटिंग सांसद और विधायक आरोपी

उच्च न्यायालयों द्वारा भेजे गए आंकड़ों के मुताबिक, देश के विभिन्न न्यायालयों में राजनेताओं के खिलाफ कुल 4,442 आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें से 2,556 मामलों में सिटिंग सांसद और विधायक आरोपी हैं। उच्च न्यायालयों द्वारा भेजे गए रिपोर्ट में कहा गया है कि 352 मामलों में ऊपरी अदालतों के निर्देश पर सुनवाई स्थगित है। सरकारी वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने इन आंकड़ों को एकत्रित करके उन्हें टेबल की शक्ल प्रदान की है।

एक अधिक मामलों में आरोपी एमपी, एमएलए की संख्या ज्यादा

25 पन्नों के शपथ पत्र में कहा गया है कि 2,556 मामलों में सिटिंग सांसद या विधायक आरोपी हैं। ऐसे सांसद या विधायकों की संख्या ज्यादा है जो एक से अधिक मामलों में आरोपी हैं। बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल की थी। इसी की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने यह रिपोर्ट तलब की थी। पीआईएल में सिटिंग और पूर्व सांसद और विधायकों के ख्िालाफ लंबित मामलों की तेजी से सुनवाई के लिए अनुरोध किया गया था।

आजीवन कारावास वाले 174 गंभीर आपराधिक मामले सिटिंग एमपी और एमएलए के खिलाफ

हंसारिया ने अपने शपथ पत्र में वह आंकड़े भी दिए हैं जिनमें ऐसे मामलों का भी उल्लेख है जिनमें ऊपरी अदालतों ने स्टे दिया हुआ है। ऐसे मामलों में बड़ी अदालतों के आदेश से सुनवाई स्थगित है। 352 मुकदमों में उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण ट्रायल रोक दिया गया है। 413 आपराधिक मामले ऐसे हैं जिनमें आजीवन कारावास के दंड का प्रावधान है। ऐसे गंभीर आपराधिक मामलों में 174 मामले सिटिंग सांसद और विधायकों के खिलाफ हैं।

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