39 साल बाद हुआ फैसला

दिल्ली की एक अदालत ने 39 साल पुराने ललित नारायण मिश्र हत्याकांड में अपना फैसला सुनाते हुए चारों आरोपियों को दोषी ठहराया है. मामले की सुनवाई कर रहे जज विनोद गोयल ने सीबीआई और बचाव पक्ष की सभी दलीलों को सुनने के बाद चारों आरोपियों को तत्कालीन रेलमंत्री की हत्या में आरोपी माना. गौरतलब है कि 1975 में देश के रेलमंत्री रहे ललित नारायण मिश्र की 3 जनवरी 1975 की एक बम ब्लास्ट में जान चली गई थी. इस मामले में गोपाल जी, रंजन द्विवेदी, संतोषानंद अवधूत, सुदेवानंद अवधूत पर रेलमंत्री की हत्या का आरोप था.

आखिर क्यों और कैसे हुई रेलमंत्री की हत्या

साल 1975 में देश के रेलवे मिनिस्टर रहे ललित नारायण मिश्र की बिहार के समस्तीपुर में हत्या कर दी गई थी. दरअसल तत्कालीन रेलमंत्री 2 जनवरी 1975 को समस्तीपुर-मुजफ्फरपुर ब्रॉडगेज का उद्घाटन करने बिहार गए थे. इसी दौरान हुए एक बम विस्फोट में रेलमंत्री मिश्र गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके बाद उन्हें रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया. इसके बाद 3 जनवरी को रेलमंत्री का निधन हो गया. इस मामले में सीबीआई ने चारों अभियुक्तों पर आरोप लगाया कि आनंदमार्ग के नेताओं ने तत्कालीन रेलमंत्री पर आनंदमार्ग के एक नेता की रिहाई का दबाव डालने के लिए हमला करवाया था.

क्यों लंबी रही कानूनी प्रक्रिया

देश के रेलमंत्री की हत्या के मामले को कई कानूनी दांवपेचों से होकर गुजरना पड़ा. साल 1979 में सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद केस को दिल्ली की एक अदालत में शिफ्ट किया गया. इसके दो साल बाद 1981 में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में दिल्ली की अदालत को इस केस की सुनवाई नियमित रूप से करने को कहा. इसी बीच में आरोपियों की तरफ से याचिका दाखिल की गई कि इस केस का निबटारा पिछले 37 सालों में नही हो पाया है. इसलिए इस केस को खत्म कर देना चाहिए. इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि मुकदमा खत्म करने के लिए यह कोई आधार नही हो सकता. इसके बाद अब साल 2014 में इस मामले पर दिल्ली कोर्ट का फैसला आया है.

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