04 सदस्य मिलकर चलाते थे गैंग
24 लोगों को बना चुके हैं शिकार
56 लाख रुपए कर चुके हजम
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यह हुआ बरामद
34 फर्जी आधार कार्ड
07 पासबुक
35 पैनकार्ड
72 मुहर
07 वोटर कार्ड
52 चेकबुक
01 कार
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-फर्जी तरीके से लोन पास कराकर हजम कर जाते थे रकम
-सिविल लाइंस पुलिस के हत्थे चढ़े चार जालसाज
PRAYAGRAJ: गैंग में कुल चार मेंबर्स थे। सभी का काम बंटा हुआ था। जरूरतमंदों की तलाश करना, फेक डॉक्यूमेंट्स पर उन्हें लोन दिलाना। लोन पास होने के बाद एक निश्चित रकम हजम कर जाना। सबकुछ बड़े आराम से चल रहा था। मामला तब गड़बड़ाया जब इनके शिकंजे में आए एक शख्स ने पैसे कम मिलने पर पुलिस में शिकायत कर दी। खुलासा हुआ तो पता चला कि चार सौ बीसी के यह चारों खिलाड़ी करीब दो दर्जन लोगों से 56 लाख रुपए डकार चुके हैं। फिलहाल चारों आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं।
शिकंजे में आए यह
गिरफ्तार हुए चारों शख्स टैगोर टाउन थाना जार्जटाउन निवासी अमरेश तिवारी पुत्र स्व। लक्ष्मी नारायण, मीरापुर थाना अतरसुइया निवासी नितेश विश्वकर्मा पुत्र स्व। छोटेलाल, कॉटन मिल थाना नैनी निवासी पंकज अग्रवाल पुत्र सुशील अग्रवाल और कालिंदीपुरम थाना धूमनगंज निवासी रुकमेश जायसवाल पुत्र स्व। गणेश प्रसाद जायसवाल हैं।
सबका बंटा हुआ था काम
-इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए चारों आरोपियों का काम बंटा हुआ था।
-इसमें से अमरेश तिवारी लोन के लिए फेक डॉक्यूमेंट्स तैयार करता था।
-क्लाइंट को लाने का काम नितेश और रुक्मेश का था।
-जब फर्जी दस्तावेज और क्लाइंट आ जाते थे तो पंकज अग्रवाल को लोन पास कराने की जिम्मेदारी दे दी जाती थी।
-पंकज अग्रवाल सिविल लाइंस थाना स्थित बजाज फाइनेंस कंपनी में डीएसए पद पर कार्यरत है।
-पंकज के ही माध्यम से लोन पास होने का प्रॉसेस पूरा होता था।
-लोन पास होने के बाद जब खाते में पैसा आ जाता तो सभी अपने हिस्से का पैसा बांट लेते थे।
ऐसे हुआ खुलासा
घटना का खुलासा करते हुए एसपी सिटी बृजेश श्रीवास्तव ने बताया कि अतरसुइया का रहने वाला राहुल आरोपियों के पास लोन के लिए गया था। सात लाख का लोन पास होने के बाद उसको सिर्फ दो लाख मिले। बाकी के पांच लाख चारों अभियुक्त मिलकर गटक गए। इसके बाद राहुल ने मामले की शिकायत सिविल लाइंस थाने में की। सिविल लाइंस टीम ने जब गैंग के बारे में पता किया तो पता चला कि चार अभियुक्त गैंग में शमिल हैं।
वर्जन
गिरफ्तार चारों आरोपी बड़े ही शातिर ढंग से प्लान बनाकर लोगों को शिकार बनाते थे। यह फेक डॉक्यूमेंट्स के आधार पर लोगों का लोन पास कराते थे। रकम मिलने के बाद कुछ पैसा उस व्यक्ति को देकर बाकी अपने में बांट लेते थे।
-बृजेश श्रीवास्तव
एसपी सिटी