यहां देते थे नौकरी का झांसा

-1400 से ज्यादा को बनाया शिकार

- 50 करोड़ रुपए की ठगी

- 04 आरोपियों को एसटीएफ ने दबोचा

- इलाहाबाद हाईकोर्ट

- पटना हाईकोर्ट

- इनकम टैक्स विभाग

- सेतु निगम

- सिंचाई विभाग

lucknow@inext.co.in

LUCKNOW: यूपी एसटीएफ की गिरफ्त में आया गैंग बेरोजगारों का इलाहाबाद हाईकोर्ट, पटना हाईकोर्ट, इनकम टैक्स विभाग, सिंचाई विभाग और सेतु निगम में नौकरी का झांसा देता और उनसे मोटी रकम ऐंठ लेते थे। आरोपियों के कब्जे से भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज, करोड़ो रुपये के भरे व ब्लैंक चेक, 1.30 लाख रुपये नगद व गाडिय़ां बरामद हुई हैं। एसटीएफ का कहना है कि आरोपियों से पूछताछ में ठगे गए लोगों की संख्या में और भी इजाफा हो सकता है।

बिहार तक फैला जाल

एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह के मुताबिक, बीते लंबे समय से सूचना मिल रही थी कि एक गैंग बेरोजगारों को इलाहाबाद हाईकोर्ट व पटना हाईकोर्ट में समीक्षा अधिकारी, क्लर्क व चपरासी के पदों पर भर्ती का झांसा देकर मोटी रकम ऐंठ रहा है। पता चला कि इस गैंग का सरगना खुद को इलाहाबाद हाईकोर्ट का डिप्टी रजिस्ट्रार बताकर बेरोजगारों को शिकार बनाता है। गैंग का जाल बिहार तक फैला है। सूचना मिलने पर एसटीएफ की प्रयागराज यूनिट को एक्टिव किया गया। टीम ने इंटेलिजेंस इनपुट जुटाते हुए बुधवार को शिवकुटी स्थित एमएनएनआईटी कैम्पस स्थित पटेल गेट पर छापेमारी कर गैंग के सरगना प्रयागराज के सोरांव निवासी मोहम्मद शमीम अहमद सिद्दीकी, अंबेडकर नगर निवासी राघवेंद्र सिंह, प्रयागराज निवासी नीरज पराशर और रमेश चंद्र यादव उर्फ गुड्डू को अरेस्ट कर लिया।

नेटवर्क के जरिए झांसे में लिया

पूछताछ में आरोपी सरगना मोहम्मद शमीम सिद्दीकी ने बताया कि वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के कोऑपरेटिव सोसायटी में अकाउंटेंट के पद पर वर्ष 1978 से तैनात है। लेकिन, कोर्ट कैंपस के बाहर वह अपना परिचय लोगों को डिप्टी रजिस्ट्रार हाईकोर्ट इलाहाबाद के रूप में देता था। इसी बात के झांसे में आकर लोग उससे जुडऩे लगे। इसी दौरान उसे नौकरी के नाम पर लोगों को ठगने का प्लान सूझा और उसने इस काम में अपने साथ एमएनएनआईटी तेलियरगंज, प्रयागराज में तैनात स्टूडेंट एक्टिविटी एंड स्पोट्र्स ऑफिसर राघवेंद्र सिंह, रमेश चंद्र यादव उर्फ गुड्डू, हाईकोर्ट में सीसीटीवी व इंटरकॉम टेलीफोन का काम देखने वाले नीरज पराशर व मृत्युंजय सिंह को साथ जोड़ लिया। इसके बाद इन लोगों के जरिये देशभर में अपना नेटवर्क तैयार किया। राघवेंद्र ने अपने नेटवर्क के जरिए 800 अभ्यर्थियों, नीरजन पराशर व मृत्युंजय सिंह ने अपने नेटवर्क के जरिए 500 अभ्यर्थी और रमेश चंद्र यादव उर्फ गुड्डू ने अपने नेटवर्क के जरिए 200 अभ्यर्थियों को झांसे में लिया और उनसे तीन से पांच लाख रुपये तक ऐंठे गए।

असली विज्ञापन पर फर्जी भर्ती

पूछताछ में आरोपी सरगना मोहम्मद शमीम ने बताया कि करीब छह साल से वह अपना बेस इलाहाबाद हाईकोर्ट व आसपास के एरिया को बना रखा था। जिससे अपने गिरोह के जरिये आर्टिकल 229 के माध्यम से हाईकोर्ट में विभिन्न पदों पर पात्रता के आधार पर सीधी भर्ती के नाम पर सही विज्ञापन को दिखाते हुए फर्जी भर्ती करने का काम किया। उनके झांसे में आए 1400 बेरोजगारों को इलाहाबाद व पटना हाईकोर्ट में समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी, क्लर्क, चपरासी के साथ ही सिंचाई विभाग, सेतु निगम व इनकम टैक्स विभाग में भी विभिन्न पदों पर भर्ती का झांसा देकर कुल मिलाकर 50 करोड़ रुपये ऐंठ लिये।

कमाई अकूत दौलत

एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह ने बताया कि गैंग के सरगना शमीम ने कुबूल किया है कि उसने बेरोजगारों से अकूत दौलत कमाई और उसका इनवेस्टमेंट ऑटो एजेंसी लेने व जमीन खरीदने में किया। शमीम ने बताया कि उसने प्रयागराज के सोरांव कस्बे में इन पैसों से देवास मोटर्स, देवास एसेसरीज, देवास यामाहा एजेंसी खोलीं। इसके अलावा प्रयागराज में ही तमाम जगहों पर जमीनों में भी निवेश किया।

सरगना पहले भी जा चुका है जेल

गिरफ्त में आया सरगना शमीम सिद्दीकी इससे पहले भी कई बार धोखाधड़ी के मामलों में अरेस्ट होकर जेल जा चुका है। बताया गया कि उसे वर्ष 1979 में फर्जी कंपनी बनाकर धोखाधड़ी करने के मामले में दिल्ली पुलिस ने अरेस्ट कर तिहाड़ जेल भेजा था। इसके अलावा वर्ष 2009 में माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड का पर्चा लीक कराने के मामले में प्रयागराज के थाना सिविल लाइंस पुलिस ने उसे उसके साथियों समीर सिंह, अजय सिंह के साथ अरेस्ट कर जेल भेजा था। वर्ष 2015 में अयोध्या पुलिस ने भी शमीम को धोखाधड़ी के मामले में अरेस्ट कर जेल भेजा था और इन दिनों वह जमानत पर चल रहा था।

सरकारी नौकरी का झांसा, 1400 को लगाया चूना

एलयू शासन से करेगा एसटीएफ जांच की मांगयह हुई बरामदगी

236 हाईकोर्ट के चयन घोषणा पत्र, नियुक्ति पत्र, विभिन्न पदों के अभ्यर्थियों की लिस्ट, अखबारों में प्रकाशित विज्ञप्ति, 76 इलाहाबाद हाईकोर्ट के चयन घोषणा पत्र, स्टांप पेपर, विधिक नोटिस, ओएमआर शीट, डिमांड ड्राफ्ट की फोटोकॉपी, सैकड़ों मार्कशीट्स, 12 विभिन्न बैंकों के चेक, बंद हो चुके 500 के 74 नोट, 1.30 लाख रुपये नकद, आर्टिगा कार, एटियॉस कार व वैगन आर कार, सात मोबाइल फोन, दो एटीएम कार्ड।

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