खुद को सरकारी कर्मचारी बताते थे

सोनभद्र के मेदनीखाड़ निवासी रमेश कुमार यादव ने बताया कि उनकी मुलाकात गोमतीनगर के विकासखंड निवासी विकास उर्फ अरुण यादव से हुई। उसने आदर्श राय से मुलाकात कराई, जो बस्ती के मुंडेरवा धौरहरा गोवना निवासी है। मुलाकात के दौरान आदर्श ने सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने की बात कही। इस दौरान वह खुद को एलडीए का कर्मचारी बताने वाला वीरेन्द्र श्रीवास्तव और रुद्र प्रताप राय के साथ भी आता था। सभी ने उसको एलडीए, राजस्व परिषद, रेलवे, हाईकोर्ट और नगर निगम सहित कई अन्य सरकारी विभागों में नौकरी का झांसा दिया। रमेश के मुताबिक जालसाजों ने मई 2017 में कहा कि इस समय नियुक्तियां निकली है। इस पर रमेश ने अपने कई रिश्तेदारों व परिचितों से बातचीत की।

आधी रकम एडवांस में जमा

पीडि़तों के मुताबिक जालसाजों ने आधी रकम एडवांस में जमा करने को कहा। वहीं बाकी नियुक्ति पत्र मिलने के समय। कई दिनों तक रुपए लेने देन की बात होती रही। कुछ दिनों बाद भुक्तभोगियों ने आधी रकम जमा करा दी गई। इसकेबाद उनके सभी शैक्षिक दस्तावेज जालसाजों ने ले लिए और कुछ दिनों बाद सभी को लखनऊ बुलाया।

तीन से पांच लाख में सौदा

भुक्तभोगियों ने चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए तीन और तृतीय श्रेणी के लिए चार से पांच लाख रुपए की डिमांड थी। इसमें से आधी रकम जालसाजों ने अपने खाते में जमा कराए। पीडि़तों ने बताया कि यह रकम आदर्श राय, विकास यादव उर्फ अरुण, वीरेन्द्र श्रीवास्तव, रुद्र प्रताप राय के खातों में आरटीजीएस के जरिए जमा कराए। बाकी रकम को नियुक्ति पत्र मिलने के दिन नकद देने को कहा। जिसे नियुक्ति पत्र देने से एक दिन पहले वसूल लिया।

एलडीए ऑफिस की चौथी मंजिल पर इंटरव्यू

पीडि़तों ने बताया कि जालसाजों ने जून महीने में इंटरव्यू की तारीख तय की। इसके लिए हजरतगंज स्थित रामा कृष्णा होटल में कई कमरे बुक कराए। जहां सभी बेरोजगारों को ठहराया गया। वहीं से गोमतीनगर स्थित एलडीए के कार्यालय ले गए। एलडीए के चौथी मंजिल पर बने कमरे में इंटरव्यू हुआ। कमरे में तीन अधिकारियों ने सभी का साक्षात्कार लिया। इसके बाद सभी को अगले महीने तक नियुक्ति पत्र मिलने का आश्वासन देकर वापस भेज दिया। जालसाजों ने सभी युवकों से दो-दो हजार रुपए ठहराने और भोजन कराने केनाम पर वसूले। इसके बाद सेवा पुस्तिका के नाम पर भी 17 लोगों से दस-दस हजार रुपये वसूले गए।

वीसी के कमरे के बाहर दिया नियुक्ति पत्र

पीडि़तों का आरोप है कि जालसाजों ने सारी औपचारिकता 28 जुलाई 2017 को पूरा कर ली। इसके बाद सभी को एलडीए ऑफिस बुलाया। वहां वीसी के कमरे के बाहर सभी को बैठाया गया। दो जालसाज फाइल लेकर कमरे के अंदर दाखिल हुए। वहां से कुछ देर बाद बाहर आएं और सभी को नियुक्ति पत्र सौंपा। साथ ही सभी की रिसीविंग भी हासिल की। नियुक्ति पत्र पर प्रमुख सचिव गृह और उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण के  हस्ताक्षर थे। जालसाजों ने युवकोंं से कहा कि 11 अगस्त को प्रमुख सचिव गृह के अनुमोदन के बाद सभी चयनित अभ्यर्थियों की सूची अधिकारियों को जारी कर दी जाएगी।

ज्वाइन करने पहुंचे तो उड़े होश  

पीडि़तों ने बताया कि नियुक्ति पत्र लेकर वह ज्वाइन करने पहुंचे तो वहां फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। जब युवक ज्वाइन करने संबंधित विभाग में पहुंचे तो वहां के कर्मचारियों ने नियुक्ति पत्र को फर्जी घोषित कर दिया। तो युवकों के पांव के नीचे से जमीन खिसक गई। युवकों ने बताया कि ज्वाइनिंग के पहले लखनऊ में जालसाजों ने उनका दो महीने का प्रशिक्षण भी कराया। जब फर्जीवाड़े की जानकारी हुई तो जालसाजों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनके सारे मोबाइल नंबर बंद आ रहे थे।  

प्राइवेट बैंक में सैलरी एकाउंट

जालसाजों ने युवकों को अपने झांसे में बनाए रखने का पूरा इंतजाम किया था। नियुक्ति पत्र जारी होने के साथ ही सभी को वेतन देने केलिए एचडीएफसी बैंक में खाते खुलावाए। इसकेलिए सभी के जरूरी दस्तावेज जमा कराया गया। इसके बाद सभी को दो से तीन महीने का वेतन चेक के जरिए दिया गया। जो चेक भुगतान केलिए खाते में लगाते ही बाउंस कर गया। इसके बाद युवकों ने आरोपियों की तलाश शुरू की, लेकिन उनकेहाथ कोई भी जालसाज नहींं लगे। मंगलवार को पीडि़त हजरतगंज कोतवाली पहुंचे। जहां सीओ अभय कुमार मिश्रा ने पीडि़तों की बात सुनने के बाद केस दर्ज करने का आदेश दिया।

65 लाख की चेक थमाई

फर्जी नियुक्ति की जानकारी होने पर युवकों ने जालसाजों से संपर्क किया और अपने पैसे मांगे तो शातिरों ने अलग-अलग अभ्यथियों को करीब 65 लाख रुपये की चेक थमा दी। जब सभी चेक कैश कराने बैंक पहुंचे तो बैंक ने उन्हें जवाब दिया कि जो चेक उन्हें जारी की गई है उसके एकाउंट धारक ने पहले ही बैंक को सूचना दी है कि उस नंबर की चेक बुक गुम हो गई है।

एलडीए में इन पदों पर की थी नियुक्ति

सीओ ने बताया कि जालसाजों ने एलडीए में आशुलिपिक, कंप्यूटर ऑपरेटर, टैक्निशियन, लिपिक, चपरासी केपदों पर 27 बेरोजगार युवकों की नियुक्ति की थी।

ठगी का शिकार

शंभू प्रसाद यादव, अशोक कुमार, लवकुश पटेल, आकाश गुप्ता, संतोष कुमार यादव, राजेन्द्र प्रसाद, विवेक सिंह, संतोष गौतम, श्रवण कुमार, बृजेश कुमार, आलोक राय, अभिषेक प्रताप, उमेश प्रसाद, बलजीत सिंह, दिनेश प्रताप, नीरज राय, संतोष पांडेय, सुनील मिश्रा, अशोक कुमार सिंह, निलेश कुमार, मयंक सिंह, अरुण सिंह, कृष्ण मुरारी, हजारी चौबे, विवेक तिवारी, संतोष मिश्रा और राकेश राय

किन किन विभागों के नाम पर ठगी

- एलडीए, नगर निगम, रेलवे के गेट मैन, राजस्व, सीबीएससी बोर्ड, हाईकोर्ट में चपरासी के पद पर

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