- फर्जीवाड़ा में फंसे आर्य समाज के प्रधान, हाईकोर्ट ने पुलिस अभिरक्षा में भेजा

-प्राथमिकी के बाद जा सकते हैं जेल

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्य समाज के नाम से शादी का फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने में लिप्त लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने आर्य समाज नया पुरवा, करेली, इलाहाबाद के प्रधान राम कुमार आर्य को वापस थाने में ले जाने का निर्देश दिया है। साथ ही करेली थाने के दारोगा को उनके खिलाफ धोखाधड़ी व कपट का अपराध करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।

फर्जीवाड़े पर कोर्ट सख्त

कोर्ट ने शादी का फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने प्रधान राम कुमार आर्य को तलब किया था। कोर्ट ने उन्हें पुलिस अभिरक्षा में दे दिया है। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। यह आदेश न्यायमूर्ति रवीन्द्र सिंह तथा न्यायमूर्ति मोहम्मद ताहिर की खण्डपीठ ने फतेहगढ़, फर्रुखाबाद की श्रीमती चांदनी व प्रभात कुमार की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका में याची के खिलाफ अपहरण के आरोप में फतेहगढ़ कोतवाली में दर्ज प्राथमिकी को रद करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने फर्जी प्रमाण पत्र दाखिल करने के कारण प्राथमिकी पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है और कहा है कि फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वालों के प्रति उदारता नहीं बरती जा सकती।

प्रमाण पत्र को दी थी चुनौती

मालूम हो कि चांदनी व प्रभात कुमार ने आर्य समाज मंदिर में शादी के प्रमाण पत्र के साथ प्राथमिकी को चुनौती दी। कहा कि अपहरण नहीं किया है। वे पति-पत्नी हैं। कोर्ट ने करेली थाना पुलिस को आर्य समाज के प्रधान को पेश करने का आदेश दिया। दरोगा राम प्रवेश सिंह ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि क्रमांक ख्क् पर तेज सिंह व इसी क्रमांक पर प्रभात कुमार को प्रमाण पत्र क्रमश: ख् जनवरी क्ब् व फ्0 अगस्त क्ब् को जारी किया गया है। राम कुमार आर्य के हस्ताक्षर हैं। आर्य का कहना था कि हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। करेली में आर्य समाज का कोई कार्यालय नहीं है और वह आर्य समाज चौक में कार्यरत हैं। कोर्ट ने आर्य का सादे कागज पर हस्ताक्षर लिया। दोनों हस्ताक्षर समान पाए गए तो कोर्ट ने आर्य को पुलिस को सौंपते हुए कार्यवाही का आदेश दिया है।