- धर्म का डर दिखाकर सीधे-सच्चे लोगों को भेजे जा रहे हैं तरह-तरह के मैसेजेज, फॉरवर्ड न करने के नाम पर दुष्परिणाम की दी जाती है धमकी

- लोगों की धर्मिक आस्था में डर पैदा करने के लिए सोशल मीडिया का लिया जा रहा सहारा

VARANASI : इस मैसेज को दस लोगों को भेजें, कोई शुभ समाचार मिलेगा। इस पिक्चर को शेयर करें, अच्छा मैसेज मिलेगा। इग्नोर किया तो नुकसान तय है। इसे मैसेज को हजार लोगों कों भेजें, तरक्की तय है। वगैरह वगैरह। अगर आप मोबाइल या सोशल नेटवर्किग साइट्स से जुड़े हैं तो इस तरह के मैसेजेज से आपका आएदिन सामना होता होगा। शब्दों के जरिये लोगों की आस्था का निजी हित के लिए इस्तेमाल करना कुछ लोगों की फितरत में शुमार हो चुका है। खास बात यह है कि इन मैसेजेज को फॉरवर्ड करने वालों की अच्छी खासी तादाद है। अब वे ऐसा किसी डर के चलते करते हैं या फिर धर्म के प्रति आस्थावान होने के नाते वे इसे इग्नोर नहीं कर पाते, यह लोगों का निजी मामला है। लेकिन इतना तो तय है कि इस तरह के मैसेजेज से सीधे-सच्चे लोगों की भावनाओं से खुलेआम खिलावाड़ हो रहा है। यहां तक कि किसी-किसी मैसेज में तो इतना तक लिखा होता है कि अगर आपने इसे फॉरवर्ड नहीं किया तो आपके परिवार पर आपदा आने वाली है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह एक ऐसी धमकी है जो लोगों की धर्म के प्रति आस्था का नाजायज लाभ उठाते हैं। लोगों के पास ऐसे में मैसेज फॉरवर्ड करने का ही विकल्प बचता है। फिर चाहे ऐसा करना उन्हें पसंद ही क्यों न हो। ऐसे मामलों में आस्था कम और खेल अधिक होता है। इसके पीछे होते हैं धर्म के नाम पर साजिश करने वाले। पीके बने रिपोर्टर को यह बात समझ नहीं आयी कि आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है।

रोजाना आते हैं मैसेज

मोबाइल पर इस तरह के मैसेजेज लगभग हर रोज आते हैं। ऐसे मैसेजेज के प्रसार के लिए भावनाओं से खेलने वाले सोशल प्लेटफॉर्म को आधार बनाते हैं। यह सब खासतौर पर फेसबुक पर खूब होता है। सोशल मीडिया में व्हाट्स एप को इंट्रोड्यूस हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है। लेकिन इसके यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसे देखते हुए धर्म के नाम पर डर और अंधविश्वास का बिजनेस करने वालों ने इस अप्लीकेशन को निशाने पर ले लिया है। दिन हो या रात, वे हर वक्त धर्म से रिलेटेड मैसेजेज भेजते रहते हैं। उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई परेशान हो सकता है। उन्हें तो केवल अपने बिजनेस से मतलब है। इन मैसेजेज को वायरल बनाने के लिए दस-बीस लोगों को फारवर्ड करने की बात करते हैं। मैसेज में इस कदर डरा दिया जाता है कि लोग बिना कुछ सोचे-समझे इसे आगे फॉरवर्ड कर देते हैं। नतीजतन, थोड़े ही वक्त में मैसेज सैकड़ों-हजारों लोगों तक पहुंच जाता है और भेजने वाले का उद्देश्य पूरा हो जाता है।

बना लिया है शेड्यूल

पीके बने रिपोर्टर ने महसूस किया कि भावनाओं से खेलने वाले ऐसे मैसेजेज भेजने वाले बड़ी ही स्मार्टनेस से अपने काम को अंजाम देते हैं। वे दिन या मौके के मुताबिक मैसेजेज भेजते हैं ताकि उसे आसानी से इग्नोर नहीं किया जा सके। जिस भगवान की पूजा जिस दिन होती है, उस दिन उन्हीं की फोटो या मैसेज भेजते हैं। वहीं तीज-त्योहारों पर उससे संबंधित मैसेजेज भेजते हैं। पहले तो बातें सिर्फ टेक्स्ट मैसेजेज तक ही लिमिटेड थीं। लेकिन अब तो फोटो और वीडियो भी खूब शेयर हो रहा है। मैसेज को डाउनलोड करने और फॉरवर्ड करने में रुपये खर्च होते हैं और यही इसे भेजने वाले चाहते भी हैं।

हो रही करोड़ों की कमाई

सोशल मीडिया पर ऐसे मैसेजेज कहां से जेनरेट किये जाते हैं, क्या इस बारे में कोई सोचता है? आखिर वे कौन लोग हैं जो सिर्फ दूसरों का भला करने के लिए इतना वक्त देकर मैसेज तैयार करते हैं? फिर उसे सोशल मीडिया पर डालते हैं। यह खेल एक तो धर्म के ठेकेदार करते हैं, जिन्हें धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए रुपये मिलते हैं। दूसरे यह खेल मोबाइल कम्पनियां करती हैं। ऐसे मैसेजेज को यूजर्स के जरिए डिफरेंट ग्रुप्स में फॉरवर्ड कराकर इंटरनेट डाटा का भारी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। इससे लाखों-करोड़ों यूजर्स की वजह से मोबाइल कम्पनियों को काफी फायदा होता है। यूजर्स मैसेज डिलीट न कर दें, इसलिए धर्म के नाम पर डराया जाता है।

पुराना है यह खेल

सालों पहले धर्म के नाम पर खेल करने वाले पर्चे छपवाकर बांटते थे। इन पर धर्म से जुड़ी कोई कहानी लिखी होती थी। साथ ही लिखा होता था कि क्क् हजार पर्चे छपवाने पर आपको लाभ होगा। फेंका तो भारी नुकसान उठाना होगा। इसका चलन कम हुआ तो मोबाइल और सोशल नेटवर्किग साइट्स का इस्तेमाल होने लगा। यानि अंधविश्वास का धंधा बरकरार है। लेकिन बदलते वक्त के साथ ठगी का प्लेंटफॉर्म एडवांस्ड हो गया है।

पीके का सवाल

क्या परमेश्वर को प्रचार की जरूरत है? क्या उनके फालोअर्स उन पर तभी यकीन करेंगे जब उनका प्रचार होगा? ऐसे लोग क्या उन्हें ईश्वर मानने को तैयार नहीं होंगे?