RANCHI: खुद को एसीबी एडीजी पीके नायडू बताकर रेलवे अधिकारियों में धौंस जमानेवाले एक जालसाज को जीआरपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने उसे पटना जनशताब्दी एक्सप्रेस से गंगाघाट स्टेशन पर दबोचा। आरा (बिहार) निवासी जालसाज कृष्णमोहन मिश्रा खुद को एंटी करप्शन ब्यूरो का एडीजी बताकर मुफ्त में सफर कर रहा था। पूछताछ में फर्जीवाड़े की कई करतूतों का खुलासा हुआ है। वो अक्सर ट्रेनों की एसी बोगी में बिना टिकट यात्रा करता था। पैंट्रीकार की जांच के बहाने मनपसंद खाना भी खाता था।

ऐसे खुला राज

उसने कुछ दिनों पूर्व रांची रेल मंडल के सीनियर डीसीएम नीरज कुमार को फोन कर कहा कि वह रेलवे में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ ड्राइव चलाना चाहता है। इसके बाद उसपर शक बढ़ा और वो अरेस्ट कर लिया गया। बिना टिकट यात्रा कर रहे आरा (बिहार) निवासी कृष्णमोहन मिश्रा को रेल निगरानी की टीम ने गंगाघाट स्टेशन पर खदेड़ कर पकड़ लिया। गिरफ्तारी के बाद उसने रेल निगरानी के अफसरों को सस्पेंड कराने की धमकी दी। एसीबी के अफसरों से फोन पर बात कराने को कहा। पर निगरानी के अफसरों ने उसकी एक न सुनी और बोकारो ले गए। बोकारो में आरपीएफ और जीआरपी पुलिस ने उसकी तलाशी ली, तो उसके पास से चार अलग-अलग तरह के फर्जी आईडी, चार एटीएम, दो शॉपिंग कार्ड मिले। पूछताछ में उसने फर्जीवाड़ा की कई करतूतों का खुलासा किया। बताया कि किस तरह वह फर्जी एडीजी बनकर रेल अफसरों को लगातार बेवकूफ बनाता रहा है।

रिश्तेदारों को भी फ्री में कराता था सफर

जालसाज कृष्णमोहन मिश्रा का रांची में भी ठिकाना है। वह अक्सर ट्रेनों की एसी बोगी में बिना टिकट यात्रा किया करता था। टिकट जांच के क्रम में टीटीई को खुद को एसीबी का एडीजी बताते हुए धमकाता था। पूछताछ में वह बार-बार रांची का गलत पता बताकर आरपीएफ और जीआरपी के अफसरों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा था। गिरफ्तार मिश्रा ने एसीबी एडीजी पीआर नायडु के नाम से फर्जी लेटर हेड भी छपवा रखा था। परिचितों और रिश्तेदारों को ट्रेनों में सफर करने के लिए वीआईपी कोटा से बर्थ रिजर्व करने के लिए फर्जी लेटर हेड का इस्तेमाल करता था। इतना ही नहीं, एडीजी के नाम से रेल अधिकारियों को मैसेज भेजकर वीआईपी कोटा से सीट कन्फर्म कराता था। बार-बार वीआईपी कोटा से बर्थ रिलीज करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे एडीजी के लेटर हेड से रेल अफसरों को शक हुआ। इसकी सूचना रेल निगरानी को दी गई और वह पकड़ा गया।