गोरखपुर (ब्यूरो)। इंटरनेट के जरिए सामान बेचने के लिए लोग ऑनलाइन सेल्स साइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए घर के पुराने सामान, व्हीकल, टीवी, फ्रिज, कूलर सहित अन्य सामग्री बेचने के लिए लोग कई साइट्स और एप का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके जरिए खरीदार लोगों से संपर्क साधकर सामान की कीमत तय करते हैं। एडवांस की रकम के रूप में कुछ पैसे भी विक्रेता को भेज देते हैं। इसके बाद सामान खरीदने के लिए बची हुई रकम को देने के लिए असली खेल शुरू करते हैं।

क्यूआर कोड स्कैन करते गायब हो गई रकम

रुपए का ट्रांजेक्शन करने के लिए खरीदार की तरफ से एक क्यूआर कोड जनरेट कर भेज दिया जाता है। विक्रेता को लगता है कि इस एकाउंट पर नकदी आसानी से मिल जाएगी। खरीदार के झांसे में आकर जैसे विक्रेता मोबाइल पर क्यूआर कोड को यूपीआई या गूगल पे पर स्कैन करते हैं। उनके एकाउंट में कहीं से रकम आने के बजाय ज्यादा से ज्यादा पैसा कट जाता है। ऐसे मामलों में शिकायत करने पर बैंक भी कोई मदद नहीं कर पा रहा। इसलिए पुलिस ने जागरुकता अभियान शुरू कर दिया है। साइबर सेल से जुड़े लोगों का कहना है कि पेमेंट के लिए क्यूआर कोड जनरेट के लिए कई एप हैं। इसके जरिए जालसाज क्यूआर कोड जनरेट कर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे।

फॉस्टैग के जरिए भी शुरू हुई जालसाजी

हाल के दिनों में फास्टैग का चलन बढऩे पर जालसाजों ने ठगी के लिए इसका हथियार चलाना शुरू कर दिया है। जालसाजों ने एक सीनियर प्रशासनिक अधिकारी को ठगने की केाशिश की। उन्होंने एक एप के जरिए अपना फास्टैग लिया था। इस दौरान उनको वाहर की आरसी और मोबाइल नंबर देना पड़ा। दूसरे दिन उनके पास केवाईसी खत्म होने का मैसेज आया। उस पर केवाईसी के लिए एक नंबर दिया गया था। फोन करने पर रिसीवर ने खुद को पेटीएम के हेड ऑफिस का कर्मचारी बताया। प्ले स्टोर से क्विक सपोर्ट डाउनलोड कर आईडी नंबर शेयर करने को कहा। लेकिन अफसर ने फोन कर एप के कस्टमर केयर को फोन किया। इस दौरान पता लगा कि उनका केवाईसी वैलिड है। अपने एक्सपीरियंएस को शेयर करते हुए अफसर ने कहा कि फास्टैग लेने के दौरान कुछ लोग सबका मोबाइल नंबर और जानकारी गलत लोगों तक पहुंचा रहे हैं। उन्होंने इस जानकारी को अन्य लोगों को शेयर करने की अपील की है।

इंटरनेट यूज करते समय बरतें सावधानी

- वेबसाइट पर पे लॉग करते हैं तो लॉगआउट जरूर करें।

- साइबर कैफे में इंटरनेट बैकिंग का प्रयोग कभी ना करें।

- फेंक वेबसाइट्स से सजग रहे। गूगल पर हेल्पलाइन नंबर न सर्च करें।

- किसी बैंक या अन्य से मिलते जुलते ई मेल पर पर्सनल जानकारी देने से बचें।

- पायरेटेड सॉफ्टवेयर से सावधान रहें। इससे सुरक्षा में सेंध लग सकती है।

- फोन पर जियो टैगिंग बंद करके रखें। एक मजबूत पासवर्ड बनाएं।

- अपने स्मार्टफोन को नियमित रूप से अपडेट करते रहें।

- कोई साफ्टवेयर यूज करने के पहले उसके बारे में पूरी जानकारी लें।

- सोशल नेटवर्किंग साइट पर गोपनीयता, सुरक्षा सेटिंग्स के बारे में जानें।

- सोशल मीडिया पर दोस्तों से मिले लिंक पर क्लिक करने से पहले जरूर सोचें।

- सोशल मीडिया साइट पर कुछ भी पोस्ट करने के पहले जरूर सोंचे।

इन तरीकों से भी होती ठगी

- बैंक से लोन दिलाने के नाम पर जालसाजी

- चिट फंड कंपनी में रुपए जमा कराने पर ठगी

- नौकरी लगाने के नाम पर पब्लिक से पैसे लेकर

- चेहरा पहचानो ईनाम जीतो के नाम पर ठगी

- बीमा कंपनी के फर्जी अधिकारी बनकर ठगी करते हैं

- टॉवर लगाने के नाम पर लोगों के रुपए लेकर गायब होना

- फर्जी तरीके से लॉटरी लगने का झांसा देकर रुपए ले जाना

- एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार कर, पासवर्ड चुराकर ठगी

- फर्जी फोन कॉल करके ओटीपी पूछने कर एकाउंट से नकदी उड़ाना

- बैंक से वन टाइम पासवर्ड मैसेज भेजकर जालसाजी

'किसी क्यूआर कोड से सतर्क रहने की जरूरत है। मोबाइल फोन को सुरक्षित रखने, सोशल मीडिया साइट्स को यूज करने और इंटरनेट के इस्तेमाल के दौरान बरती जाने वाली सावधानी के बारे में जानकारी दी जा रही है। क्यूआर कोड के जरिए ठगी का मामला बिल्कुल नया है। इससे सजग रहने की जरूरत है। इस संबंध में साइबर सेल की तरफ से कार्रवाई की जा रही है।'

- डॉ. कौस्तुभ, एसपी सिटी

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