-एमजीएम हॉस्पिटल में गरीब मरीज के इलाज के लिए मांगे गए पैसे, टीएमएच ने किया फ्री इलाज

-आठ साल की बच्ची के गले में दो दिनों से अटका हुआ था सिक्का

JAMSHEDPUR : पैसे के अभाव में लोग मुफ्त इलाज के लिए गवर्नमेंट हॉस्पिटल जाते हैं, लेकिन किसी गरीब मरीज को पैसा नहीं होने की वजह से अगर इलाज के लिए गवर्नमेंट हॉस्पिटल से प्राइवेट हॉस्पिटल जाना पड़े तो बात अजीब लगती है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल में कुछ ऐसा ही मामला सामने आए है। एक आठ साल की बच्ची ने दो दिन पहले सिक्का निगल लिया जो उसके गले में अटक गया। इसे निकालने के लिए उसे एमजीएम हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने इसके लिए पैसों की मांग की। थक-हार कर बच्ची के परिजन उसे टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) ले गए जहां उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने फ्री ट्रीटमेंट की व्यवस्था की।

एमजीएम में नहीं हुआ इलाज

आठ वर्षीय वैशाखी भीख मांगकर अपना गुजारा करती है। दो दिनों पहले किसी ने उसे एक सिक्का दिया। इसी बीच हाथ में कुछ और पकड़ने के लिए उसने सिक्के को मुंह में रख लिया और गलती से वो सिक्का जाकर उसके खाने की नली में अटक गया। गवर्नमेंट हॉस्पिटल में फ्री इलाज की आस लेकर परिजन उसे एमजीएम हॉस्पिटल ले गए, लेकिन वहां जो हुआ वो गवर्नमेंट हॉस्पिटल के कामकाज पर सवाल उठाता है। बच्ची के परिजनों ने बताया कि एमजीएम में अलग-अलग दिन उसके तीन एक्स-रे किए गए। इसके लिए उन्हें तीन सौ रुपए देने पड़े। बात जब सिक्का निकालने की आई तो डॉक्टर ने इसमें दस हजार रुपए लगने की बात कही।

टीएमएच ने किया मुफ्त इलाज

निराश होकर बच्ची के परिजन उसे टाटा मेन हॉस्पिटल ले गए। वहां ईएनटी डिपार्टमेंट के डॉ केपी दूबे ने बच्ची की जांच की। डॉ दूबे ने बताया कि दो दिनों से गले में सिक्का अटका होने की वजह से बच्ची की हालत खराब हो गई थी। इंडोस्कोपी के जरिए सिक्के को जल्द से जल्द निकालना जरूरी था। डॉ केपी दूबे ने कहा कि इस इलाज में करीब क्0 हजार रुपए का खर्च आता है, लेकिन बच्ची के परिजन इतने रुपए देने की स्थिति में नहीं थे। बच्ची के हालत को देखते हुए उन्होंने इस संबंध में हॉस्पिटल मैनेजमेंट से बात की। हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने मानवता के आधार पर बच्ची का फ्री इलाज करने को कहा।

मरीज को दी जानलेवा सलाह

एमजीएम हॉस्पिटल के डॉक्टर ने बच्ची का इलाज ना कर ना सिर्फ अपनी ड्यूटी से मुंह मोड़ा बल्कि उसे जानलेवा सलाह भी दे डाली। बच्ची के परिजन राहुल ने बताया कि जब उसने पैसे देने में असमर्थतता जाहिर की तो डॉक्टर ने सिक्का निकालने के लिए केला खाने की सलाह दी। डॉ दूबे ने डॉक्टर की इस सलाह पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि कहा कि ऐसी स्थिति में केला खाना बेहद खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा कि भोजन की नली और सांस की नली में आसपास रहती है, ऐसे में गले में अगर कुछ अटका हो तो केला खाने से वो सांस की नली में भी जा सकता है जो जानलेवा साबित हो सकता है।

बुधवार को बच्ची के गले में सिक्का अटक गया था। मैं उसे लेकर एमजीएम हॉस्पिटल गया जहां डॉक्टरों ने सिक्का निकलाने के लिए क्0 हजार रुपए मांगे और केला खाने की भी सलाह दी।

-राहुल, बच्ची का परिजन

बच्ची के गले में दो दिनों से सिक्का अटका हुआ है। हमारे पास जब वो आई तो उसकी हालत खराब थी। गले से सिक्का निकलना बेहद जरूरी था। बच्ची के परिजनों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए मानवता के आधार पर हॉस्पिटल में उसका फ्री ट्रीटमेंट किया गया।

-डॉ केपी दूबे, टाटा मेन हॉस्पिटल