- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना के तहत 20 गंभीर बीमारियों का मुफ्त में मिलेगा इलाज
-जन्म से 19 साल तक के बच्चों को मिलेगा इस सुविधा का लाभ
बरेली : अगर आपका बच्चा जन्म से मेंटली डिसएबेल्ड है या उसका कोई अंग खराब है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से आरबीएसके यानि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अब ऐसे बच्चों का फ्री में इलाज किया जाएगा. इस योजना के तहत करीब 20 गंभीर बीमारियों का फ्री में ट्रीटमेंट किया जाएगा. यह जानकारी सैटरडे को जिला अस्पताल में सीएमएस कार्यालय में हुई वर्कशॉप में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केएस गुप्ता ने दी.
बच्चों का होगा हेल्थ चेकअप
शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत बच्चों का हेल्थ चेक अप कर बीमारियों को पता लगा जाएगा. बीमारी गंभीर नहीं है तो उसका वहीं पर इलाज किया जाएगा. अगर बच्चा गंभीर बीमारी से पीडि़त है तो उसे जिला अस्पताल में एडमिट करके इलाज किया जाएगा.
इन बीमारियों में मिलेगा लाभ
1. न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट
2. डाउन सिंड्रोम
3. क्लैफ्ट लिप एंड पेलैट
4. टेलीपर्स
5. डेवेलपमेंटल डिप्लेसिया ऑफ हिप
6. कांजेंटियल कैटैरेक्ट
7. कांजेंटियल डिफनेस
8. हार्ट डिजीज
9. रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी
10. एनीमिया
11. रिकेट्स
12. सैम
13. गोईटर
14. स्किन डिजीज
15. ओटिटिस मीडिया
16. ह्यूमेटिक हार्ट डिजीज
17. डेंटल डिजीज
18. कन्वल्सिव डिसआर्डर
19. हियरिंग डिजीज
20. स्पिच एंड लैंग्वेज डिलेय
डॉक्टर की होगी जिम्मेदारी
इस योजना के तहत इलाज के लिए चिह्नित किए गए बच्चों की पर्चे से लेकर पूरे इलाज की जिम्मेदारी विभागीय डॉक्टरों की होगी. उनको मरीज के एडमिट होने से लेकर डिस्चार्ज तक की पूरी रिपोर्ट सीएमओ को देनी होगी.
उदासीनता पर होगी कार्रवाई
आरबीएसके एक प्रमुख कार्यक्रम है. इसलिए गाइड लाइन के अनुसार जिन डॉक्टरों को बच्चों के इलाज की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, उन्हें पॉजीटिव रवैये के साथ कार्य करना होगा. मरीज के परिजनों की शिकायत पर डॉक्टर को बड़ी कार्रवाई की सामना करना पड़ सकता है.
19 साल तक के बच्चों को मिलेगा लाभ
आरबीएसके के तहत जन्म से 19 साल तक के लाभार्थी ही लाभ ले सकेंगे. स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों का विभाग की ओर से सर्वे कराकर इन बीमारियों से ग्रसित बच्चों की पहचान कर इलाज के लिए जिला अस्पताल बुलाया जाएगा.
वर्जन
आरबीएसके के तहत जिले भर में सर्वे कराकर बच्चों की पहचान कर मौके पर ही इलाज दिया जाएगा. अगर बच्चा गंभीर बीमारी से ग्रसित है तो जिला अस्पताल में उसका इलाज होगा. कार्यक्रम की शुरुआत सैटरडे से कर दी गई है.
डॉ. केएस गुप्ता, एडीआईसी.