RANCHI: रिम्स में इलाज के लिए बिहार-झारखंड के अलावा अन्य राज्यों से भी मरीज इस उम्मीद में आते हैं कि वो ठीक हो जाएंगे। इससे यह साफ है कि रिम्स पर मरीजों का भरोसा फिर से बढ़ रहा है। इसी भरोसे को एकबार फिर साबित कर दिया है रिम्स ऑर्थो के डॉक्टरों ने। जिस मरीज का ऑपरेशन करने के लिए अन्य डॉक्टर सोच रहे थे वहां ऑर्थो के डॉक्टरों ने हीमोफीलिया के मरीज की जांघ की टूटी हुई हड्डी को ऑपरेशन कर जोड़ दिया। फिलहाल मरीज की स्थिति स्थिर बनी हुई है। बताते चलें कि इस ऑपरेशन के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल में 8-10 लाख रुपए का खर्च आता है।

रिस्क नहीं लेना चाहते डॉक्टर

हीमोफीलिया के मरीजों को हल्की चोट लगने पर भी इंटरनल ब्लीडिंग होती है। जिसे रोकने के लिए उन्हें जरूरत के हिसाब से फैक्टर लगाया जाता है। लेकिन मरीज के ऑपरेशन का रिस्क डॉक्टर नहीं लेते। वहीं मरीज को ऑपरेशन के दौरान फैक्टर भी लगातार चढ़ाने की जरूरत होती है। इसके बावजूद ऑर्थो के डॉक्टरों ने डॉ एलबी मांझी के नेतृत्व में रिस्क लिया और मरीज का ऑपरेशन किया। अभी मरीज को हॉस्पिटल की ओर से फ्री में फैक्टर उपलब्ध कराया जा रहा है।

यह एक बड़ी उपलब्धि है। इस तरह के ऑपरेशन के लिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। वह भी तब जब सामने हीमोफीलिया का पेशेंट हो। ऐसी स्थिति में जांघ की हड्डी को जोड़ देना डॉक्टरों के बेहतर प्रयास का उदाहरण है।

-संतोष जायसवाल, सेक्रेटरी, हीमोफीलिया सोसायटी झारखंड