-दावा 15 दिन में रिपोर्ट का, महीने भर बाद भी सैंपल की जांच नहीं

-खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ। अनिता भटनागर जैन के औचक निरीक्षण में खुली पोल

LUCKNOW: खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) के मानक के अनुसार फूड के सैंपल की रिपोर्ट 15 दिन और ड्रग सैंपल की रिपोर्ट अधिक दो माह में आ जानी चाहिए, लेकिन अलीगंज स्थित एफएसडीए के हेड ऑफिस में बनी जन विश्लेषक प्रयोगशाला में मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही थी। 15 दिन में रिपोर्ट की बात तो दूर महीनों तक सैंपल की जांच नहीं की जाती और कई कई महीने तक उनकी रिपोर्ट नहीं भेजी जाती। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ। अनिता भटनागर जैन के औचक निरीक्षण में इसकी पोल खुल गई, जिस पर उन्होंने एफएसडीए की आयुक्त को दोषियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

नहीं भेजी जाती समय से रिपोर्ट

अनीता भटनागर जैन ने बताया कि निरीक्षण के दौरान पता चला कि नमूनों की जांच के बाद भी समय से रिपोर्ट भेजी नहीं जाती। महीनों पहले की रिपोर्ट मौके पर एनालिस्ट के पास ही मिली है। रजिस्टर से पता चला कि 18 अक्टूबर, तीन नवंबर, 12 नवंबर के भी नमूनों की रिपोर्ट तैयार थी, लेकिन उन्हें डिस्पैच नहीं किया गया। कवरिंग लेटर पर भी दो से ढाई माह पहले की तारीख पड़ी थी जो कि गलत है। इस पर अनीता भटनागर जैन ने सेक्सन इंचार्ज को आरोप पत्र जारी करने के आदेश दिये। निरीक्षण के दौरान पाया कि दो जनवरी के बाद कोई भी रिपोर्ट डिस्पैच ही नहीं की गई। डिस्पैच रजिस्टर से पता चला कि 270 सैंपल रिपोर्ट भेजी ही नहीं गई।

कई महीने पुराने हैं सैंपल

निरीक्षण में मिला कि अनाज व अनाज से बने सामानों के सेक्शन में 26 नवंबर तक के 164 नमूने जांच के लिए लंबित पड़े हैं। दूध व दूध से बने सामान में 291 सैंपल 20 नवंबर तक के लंबित मिले जबकि दूध के कुछ ऐसे भी नमूने पाए गए, जिनमें डिटरजेंट व यूरिया मिले पाए गए हैं। इसके बावजूद समय से रिपोर्ट नहीं भेजी जाती। मिठाई व नमकीन के 14 तक के नमूने जांच के लिए पेंडिंग मिले।

रिपोर्ट देने की जानकारी नहीं

निरीक्षण में मिला कि सिर्फ आने वाले सैंपल की ही जानकारी रखी जाती है। रिपोर्ट भेजने की जानकारी नहीं लिखी जाती। उन्होंने कहा कि रजिस्टर में सैंपल मिलने और रिपोर्ट भेजने की तारीख हर हाल में अंकित की जाए। उन्होंने जिलेवार फेल होने वाले नमूनों की जानकारी मांगी है। ताकि वहां पर तेजी से जांच और मुकदमों की तेज पैरवी के लिए डीएम को पत्र लिखा जा सके।

कलेक्शन के दिन ही भेजना होगा सैंपल

अनीता भटनागर जैन ने बताया कि कभी कभी नमूने की पैकिंग सही नहीं होती और दोबारा मंगाना पड़ता। सही पैकिंग के साथ ही पर्याप्त मात्रा में प्रीजर्वेटिव भी प्रयोग किए जाएं। उन्होंने कहा कि जिस दिन सैंपल कलेक्ट किए गए हैं उसी दिन सैंपल लैब को भेज दिए जाएं।

सैंपल--लम्बित सैम्पल दिसंबर तक जांचे गए

दूध, दूध से बना सामान 291--75

मिठाई, नमकीन 358--115

मसाले 32--108

तेल, घी 45--20

अनाज एवं अनाज से बने सामान 164--41

अन्य वस्तुऐं 111--133

कुल 1001--492

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मसालों में घातक केमिकल

ऐसे ही मसालों के 26 दिसंबर तक के 32 नमूने लंबित मिले। मसाले की पैकिंग में कुछ मिर्च व हल्दी के ऐसे सैंपल के पैकेट भी थे, जिसमें मसालों के स्थान पर केमिकल था। मिर्च की पैकिंग में न तो फैक्ट्री का पता है न ही लाइसेंस नंबर। छोटे अक्षरों में लिखा भी था कि खाने के लिए नहीं है। फिर भी खाने के मसालों के रूप में बेचा जा रहा था। अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि ऐसे मामलों में गोपनीय रूप में अलग से कार्रवाई की जाएगी।

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दवाओं की जांच बेहतर

अनीता भटनागर जैन ने बताया कि जांच के दौरान दवाओं के सेक्सन में बेहतर स्थिति मिली। जनवरी में कुल 701 नमूनों में से 361 की जांच कर ली गई थी और 340 जांच के लिए बाकी थे। उन्होंने कास्मेटिक व दवाओं की जिलेवार रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जो कंपनियां सूचना नहीं भेजती हैं उनकी रिपोर्ट बनाकर दी जाए।