अच्छी-खासी बढ़ोत्तरी कर दी
एक बार फिर गवर्नमेंट ने डीजल की कीमत में अच्छी-खासी बढ़ोत्तरी कर दी। अब जब डीजल का दाम बढ़ गया, तो ऑटो-बस से लेकर ट्रक तक का फेयर बढ़ जाएगा और इसका सीधा असर कॉमन मैन की जेब पर पड़ेगा। गवर्नमेंट ने इसके साथ ही एक साल में छह सिलेंडर पर ही सब्सिडी देने का फरमान जारी किया है, मतलब एक आदमी को साल में छह सिलेंडर ही मिलेंगे। इससे ज्यादा की खपत होने पर उन्हें पूरा दाम देना होगा। डीजल के बढ़े दाम से ट्रांसपोर्टेशन का रेट बढऩा तय है और जैसे ही ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ेंगे, सारी चीजों की कीमत ऑटोमैटिक बढ़ जाएंगी। पहले से महंगाई की मुसीबत झेल रहे लोगों पर यह कहर बनकर टूटेगा। डीजल की कीमत बढऩे के बाद से लोगों में जबर्दस्त गुस्सा है। उनका कहना है कि गवर्नमेंट एक बार में ही पेट्रोल छिड़ककर पूरे देश में आग लगा दे, सारे झंझटों से एक ही बार में मुक्ति मिल जाएगी. 

महंगाई के side effect
- डीजल के कारण बस व ऑटो का किराया बढ़ जाएगा। डीजल की बढ़ी कीमत का इस पर सीधा असर पड़ेगा।
- सब्जी, फूड्स व फूड प्रॉडक्ट्स की कीमत बढ़ जाएगी, क्योंकि इसके प्रोडक्शन में डीजल का अहम रोल होता है। पटवन के लिए आज भी लोग डीजल पर डिपेंडेंट हैं।
- बाहर से आने वाले सभी प्रोडक्ट्स की कीमत बढ़ जाएगी। डीजल की कीमत बढऩे से ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ जाएगा, जिसका सीधा असर बाहर से आने वाली चीजों पर पड़ेगा।
- सीमेंट, बालू, गिट्टी, सरिया जैसे कंस्ट्रक्शन में यूज होने वाले आयटम्स की कीमतें भी बढ़ जाएंगी। ये चीजें अदर स्टेट से आती हैं।
- लेबर चार्ज बढ़ जाएगा, क्योंकि घर में सामान लाने में दिक्कत होगी। इसे दूर करने के लिए वे मजदूरी बढ़ा देंगे, जिससे लोगों को परेशानी होगी।

कहां-कहां करेंगे एडजस्ट?
हमलोगों की सैलरी तो साल में चार बार नहीं बढ़ती है, फिर गवर्नमेंट पेट्रोलियम का रेट बार-बार क्यों बढ़ाती है? आखिर आदमी कितना और कहां-कहां एडजस्ट करेगा?
अनिल कुमार, मीठापुर.

तो रेट बढ़ती ही नहीं
गवर्नमेंट आम आदमी के बारे में सोचती, तो डीजल का रेट नहीं बढ़ाती और ना ही गैस सिलिंडर का लिमिट 6 करती। यदि पेट्रोलियम में दबाव ज्यादा था, तो दूसरी चीजों पर टैक्स लगाकर पूरा किया जा सकता था।
अभिषेक, स्टूडेंट, बीसीए.

कोई प्लानिंग बननी चाहिए
कम से कम एक साल के लिए कोई प्लानिंग बननी ही चाहिए। हर सामान का प्राइस साल में एक बार फिक्स कर देना चाहिए, आदमी एडजस्ट कर लेगा। पर, हर बार वह कितना एडजस्ट करेगा?
युवराज, स्टूडेंट, बीसीए.

खुश नहीं है कोई
ऐसे रेट बढ़ाकर आप कंट्री की इकनॉमी को ठीक नहीं कर सकते। जब आदमी ही बेहाल रहेगा, तो इकनॉमी किसके काम आएगी? अब तो अच्छी आमदनी होने के बाद भी कोई खुश नहीं है।
रंजीत कुमार सिंह, स्टूडेंट, बीसीए.

ब्रेकफास्ट बंद करना होगा
अब तो सुबह का ब्रेकफास्ट और शाम का नाश्ता बंद कर देना होगा, क्योंकि गैस तो मिलने से रहा? खाने में कटौती की बात सोचनी होगी। गैस की कम खपत के लिए प्लानिंग करनी होगी।
राम प्रवेश कुमार, एसके पुरी.

गवर्नमेंट से उम्मीद बेमानी
अब लोग कार के बजाए साइकिल से चलेंगे। मार्केटिंग करने के लिए पैदल ही जाएं। सुबह का ब्रेकफास्ट चना-गुड़ करें, इससे कुछ तो राहत मिलेगा। गवर्नमेंट के साइड तो उम्मीद करना ही बेमानी है।
मंजीत, स्टूडेंट, सीएस.