- छुट्टी देने के नाम पर खंड शिक्षा अधिकारी करते हैं मनमानी

- नियमों का हवाला दे पे्रग्नेंट शिक्षिकाओं को दफ्तर के चक्कर लगाने को किया जाता है मजबूर

GORAKHPUR: सिटी के बेसिक स्कूलों की शिक्षिकाओं के साथ मैटर्निटी लीव के नाम पर धन उगाही का खेल हो रहा है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि बेसिक शिक्षा विभाग में लगातार आ रहीं इस तरह की शिकायतें बयां कर रही हैं। सूत्रों की मानें तो बीते दिनों से कई शिक्षिकाएं शिकायत कर चुकी हैं कि मैटर्निटी लीव के लिए अप्लाई करने पर खंड शिक्षा अधिकारी मनमानी करते हैं। नियमों का हवाला देकर उन्हें दफ्तर के चक्कर लगवा जाते हैं। दफ्तर के कर्मचारी मजबूर शिक्षिकाओं से पैसे की डिमांड करते हैं। परेशान हाल शिक्षिकाएं पैसे देकर छुट्टी पाने को मजबूर हैं। हालांकि, इस तरह की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए बीएसए ने जांच कर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

एक हजार तक की करते डिमांड

खंड शिक्षा अधिकारियों के कर्मचारियों के खिलाफ धन उगाही की शिकायत करने वाली शिक्षिकाओं का कहना है कि जब तक आवेदन के बाद सुविधा शुल्क नहीं मिलता तब तक उनकी छुट्टी पास नहीं होती है। इसी क्रम में पूर्व माध्यमिक विद्यालय बप्सा में पढ़ाने वाली शिक्षिका ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसने मैटर्निटी लीव के लिए खंड शिक्षा अधिकारी के पास आवेदन किया है। लेकिन उसकी छुट्टी अभी तक पास नहीं की गई है। वहीं खोराबार क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय की एक शिक्षिका ने बताया कि मैटर्निटी लीव के लिए आवेदन करने पर उससे एक हजार रुपए की मांग की गई है। संबंधित क्लर्क का कहना है कि जब तक सुविधा शुल्क नहीं मिल जाता तब तक उसकी छुट्टी अप्रूव नहीं होगी। जबकि नियमानुसार किसी भी शिक्षिका द्वारा मैटर्निटी लीव के लिए आवेदन के बाद दो से तीन दिन में उसकी छुट्टी अप्रूव हो जानी चाहिए। वहीं, बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि कई बार महिला शिक्षिका दो बच्चे हो जाने के बाद भी तीसरी प्रेग्नेंसी के लिए भी आवेदन करती हैं। ऐसे कंडीशन में जांच-पड़ताल के बाद ही छुट्टी देने का नियम है।

वर्जन

मैटर्निटी लीव में किसी भी प्रकार की धन उगाही की बात सामने आने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वैसे दो ही बच्चों के लिए मैटर्निटी लीव लेने का नियम है।

- बीएन सिंह, बीएसए