-'गणतंत्र' के 65 साल बाद बाद भी 'गण' है अधिकारों के महरूम

- बड़ी संख्या में पेंडिंग हैं मानवाधिकार हनन के मामले

ALLAHABAD: आजादी के बाद देश ने अपने संविधान का निर्माण किया। इसके तहत हमें मौलिक अधिकार व कर्तव्य मिले। इसी संविधान को लागू किए जाने की खुशी को हम हर साल ख्म् जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि संविधान द्वारा हमें कौन-कौन से मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। क्या इन अधिकारों के बदले हम अपना कर्तव्य ईमानदारी पूर्वक निभा रहे हैं। कहीं हमारे इन अधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा है। फिलहाल, ऐसा हो रहा है, क्योंकि मानवाधिकार आयोग की मौजूदा रिपोर्ट इसी ओर इशारा कर रही हैं।

केवल इलाहाबाद में हैं क्भ् मामले

बता दें कि केवल इलाहाबाद में मानवाधिकार हनन के क्भ् मामले पेंडिंग हैं। जिनका निराकरण अभी तक नहीं हो सका है। इसके अलावा प्रतापगढ़ में दो, चित्रकूट में तीन, फतेहपुर में पांच, कौशांबी से एक, बांदा में क्ख्, फैजाबाद में पांच, अंबेडकर नगर में चार और सुल्तानपुर में पांच मामले हैं। इनमें एससी-एसटी-ओबीसी,जेल या कस्टडी के दौरान कैदियों की मौत, महिला उत्पीड़न, सेक्सुअल हरेसमेंट ऑन वर्क प्लेस, लेबर एक्ट से जुड़े केसेज शामिल हैं।

आप भी जानिए आपने मौलिक अधिकार

हमें आजाद हुए म्7 साल हो गए हैं और संविधान को लागू हुए म्भ् साल। बावजूद इसके बहुत से लोग ऐसे हैं जिनको अपने मौलिक अधिकारियों की जानकारी नहीं है। यह वह अधिकार हैं जिन पर देश की जनता का पूरा हक है। और 'तंत्र' यानी शासन को कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर देना आवश्यक है। अगर कोई इन अधिकारों का हनन करता है तो इसके खिलाफ पुलिस और मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। आइए हम बताते हैं कि कौन-कौन से हैं मौलिक अधिकार-

- समानता का अधिकार

- स्वतंत्रता का अधिकार

- शोषण के विरुद्ध अधिकार

- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार

- संस्कृति व शिक्षा संबंधी अधिकारी

- संवैधानिक उपचारों का अधिकार

मूल कर्तव्यों का भी रखें ध्यान

संविधान ने हमें मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं तो इसके एवज 'जन' यानी जनता के लिए भी कुछ कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं। जिनको निभाना हर नागरिक की पहली जिम्मेदारी है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद भ्क् क में इन मूल कर्तव्यों की जानकारी दी गई है। आइए जानते हैं अपने कर्तव्यों के बारे में-

--भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह-

- संविधान का पालन करे और उसके आदशरें, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे।

- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शो को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे।

- भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे।

- देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे।

- भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है।

-हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे।

- प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे।

- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे।

- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे।

- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्‍‌न और उपलब्धि की नई ऊंचाइयों को छू ले।

- यदि माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करे।

उठा सकते हैं आवाज

मानवाधिकार आयोग द्वारा सर्किट हाउस में ख्7 से ख्9 जनवरी के बीच कैंप का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें इलाहाबाद समेत नौ जिलों में पेंडिंग मामलों की सुनवाई की जाएगी। कैंप में मानवाधिकार आयोग के सदस्य एससी सिन्हा, सीके त्यागी, ज्वाइंट रजिस्ट्रार (लॉ) एके पाराशर सहित अन्य अधिकारी शामिल होंगे। उप्र शासन के वरिष्ठ अधिकारी भी लखनऊ से शिरकत करेंगे। साथ ही मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले एनजीओ के साथ भी बैठक की जाएगी।