पंडित राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Ganesh Chaturthi 2021 :भाद्रपस मास के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है और 11 दिन तक यह उत्सव मनाया जाता है। भगवान गणेश विघ्न हर्ता, साथ ही सर्वमांगलयकर्ता भी हैं, मान्यताओं के अनुसार सूर्य से आरोग्य, अग्नि से श्री, शिव से ज्ञान, भगवान विष्णु से मोक्ष, दुर्गा आदि देवियों से रक्षा, लक्ष्मी से ऐश्वर्य वृद्धि, सरस्वती से विद्या तत्व, भैरव से कठिनाईयों पर विजय, कार्तिकेय से सन्तान प्राप्ति तथा भगवान गणेश से उक्त सभी वस्तुओं की याचना करनी चाहिए। भगवान गणेश सभी प्रकार की मान्यतओं को पूर्ण करने वाले हैं। ब्रह्मा, शिव और विष्णु ने गणेशजी को कर्मों में विघ्न डालने का अधिकार तथा पूजन के उपरान्त उसे शान्त कर देने का सामर्थ प्रदान किया है तथा सभी गणों का स्वामी बनाया है। मान्यता है कि गणेश जी की विधिवत पूजा करने से वह सभी संकटों को हरकर मनचाहा फल देते है।

गणपति पूजन की सामग्री
कुमकुम, केसर, अवीर, गुलाल, सिन्दूर, पुष्प, चावल, चौसरे, ग्याराह सुपारियां, पंचामृत, पंचमेवा, गंगाजल, बिल्व पत्र, धूप बत्ती, दीप, नैवेद्य लड्डू पांच गुड़ प्रसाद, लौंग, इलायची, नारियल, कलश, लाल कपड़ा एक हाथ, सफेद कपड़ा एक हाथ, बरक, इत्र, पुष्पहार, डंठल सहित पान, सरसो, जनेऊ, मिश्री, बताशा और आंवला।

ऐसे करें पूजन
गणेश चतुर्थी के दिन व्रती को स्नानादि करके निम्न मंत्र द्वारा संकल्प लेना चाहिए। ॐ विष्णु: विष्णु: विष्णु:------मम सर्वकर्मसिद्द्ये सिद्धिविनायक पूजन महं करिष्ये। संकल्प के उपरांत निम्न पूजन की तैयारी करनी चाहिए । एक चौकी पर लाल रेशमी वस्त्र बिछा कर उसमें मिट्टी, धातू, सोने अथवा चांदी की मूर्ति, ध्यान आवाहन के बाद रखनी चाहिए। 'ऊं गं गणपतये नम:' कहते हुये उपरोक्त पूजन सामग्री गणेशजी पर चढ़ायें। एक पान के पत्ते पर सिन्दूर में हल्का सा घी मिलाकर स्वास्तिक चिन्ह बनायें, उसके मध्य में कलावा से पूरी तरह लिपटी हुई सुपारी रख दें। इन्हीं को गणपति मानकर एवं मिट्टी की प्रतिमा भी साथ में रखकर पूजन करें, गणेश जी के लिए मोतीचूर का लड्डू (5 अथवा 21) अवश्य चढ़ायें। लड्डू के साथ, गन्ने के टुकड़े, नारियल, तिल एवं पके हुये केले का भी भोग लगायें। अन्त में देशी घी में मिलकार हवन सामग्री के साथ हवन करें एवं अन्त में गणेशजी की प्रतिमा के विसर्जन का विधान करना उत्तम माना गया है।
अति विशेष
1. गणेशजी की पूजा सायं काल की जानी चाहिए, पूजनोपरान्त नीची नजर से चन्द्रमा को अर्ध्य देकर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
2. घर में तीन गणेश जी की पूजा नहीं करनी चाहिए।
3. यदि चन्द्र दर्शन हो जायें तो मुक्ति के लिए 'हरिवंश भागवतोक्त स्यमन्तक मणि के आख्यान' का पाठ भी करना चाहिए।

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