पटना (ब्यूरो)। जिन हाथों में कलम और किताब होनी चाहिए, उन हाथों से चोरी कराई जा रही है। जो बचपन खेलते कूदते गुजरना चाहिए, उस बचपन को चोरी के दलदल में फंसा दिया गया है। उन से डेलीवेजेज के आधार पर चोरी कराई जा रही है। इसके पीछे बंगाल और झारखंड का गिरोह सक्रिय है जो नाबालिगों से चोरी कराता था। थाना पीरबहोर पुलिस ने सोमवार को खेतान मार्केट से तीन नाबालिग और दो बालिगों को मोबाइल चोरी करते हुए पकड़ा। पुलिस ने जब उनसे पूछताछ की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ।

राजधानी में सक्रिय है नाबालिग चोर गैंग

इन दिनों राजधानी में नाबालिग चोर गैंग सक्रिय है। नाबालिग चोर गैंग को बंगाल और झारखंड से संचालित किया जा रहा है। इस गैंग के तीन नाबालिगों सहित कुल पांच लोग पुलिस के हत्थे चढ़ गए हैं। पुलिस अभी और उनके साथियों की जानकारी जुटाने में जुटी हुई है। पुलिस का कहना है कि इस गैंग के जरिए सरगना तक पहुंचना है। जिन बच्चों का भविष्य खराब करने में जो शातिर जुटे हुए हैं, उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाने की पुलिस ने कसरत शुरू कर दी है।

एक मोबाइल पुलिस ने किया जब्त

थाना पीर बहोर प्रभारी ने बताया कि जो गैंग पकड़ा गया है, उससे आज ही चोरी किए एक मोबाइल को बरामद कर लिया है। कहां कहां से और मोबाइल चोरी किए हैं, उनके संबंध में भी पुलिस जानकारी जुटा रही है। मोबाइल के अलावा और किस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देते हैं के विषय में भी पुलिस जानकारी जुटाने में जुटी हुई है।

मंथली भी किया जाता है पेमेंट

जो नाबालिग पकड़े गए हैं, उन्होंने पूछताछ में यह भी बताया है कि डेली के अलावा कईयों को मंथली पेमेंट भी किया जाता है जो उनके परिजनों को किया जाता है। ऐसा नहीं है कि केवल बच्चे ही अपनी मर्जी से चोरी के धंधे में आए हैं, उनके परिजनों को भी गिरोह के मुखिया ने शिकंजे में ले रखा है। सभी बच्चे झारखंड के साहिबगंज जिला अंतर्गत तीन पहाड़ के रहने वाले हैं। दिया महतो वहां से बच्चों को लेकर पटना आता था। उनके माता-पिता को महीने में तीन से चार हजार रुपए देता था। पकड़े गए तीनों बच्चों की उम्र दस साल से कम है। तीनों को जैकेट या जेब से मोबाइल और पर्स निकालने की ट्रेनिंग दिया महतो ने साहिबगंज में ही दिया था। महतो ने पुलिस को बताया कि उनके कई गिरोह हैं, जो कई राज्यों में काम करते हैं। पूरी तरह ट्रेंड होने के बाद बच्चों को बाजार में भेजा जाता था।

गरीब बच्चों को बनाया जाता है शिकार

बंगाल और झारखंड के गरीब परिवार के बच्चों की मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है। उनके पेरेंट्स को लालच देकर चोरी कराने के लिए प्रेरित किया जाता है। उन्हें और उनके परिजनों को सपने दिखाए जाते हैं। पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ है कि उन्हें डराया धमकाया जाता है।

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