पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। पूर्वांहन व्यपिनी ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से श्रीगंगा का अवतरण हुआ था। स्कन्द पुराण एवं ब्रह्म पुराण के अनुसार यदि दशमी दो दिन पूर्वांहन व्यपिनी हो तो निम्न 10 यौगों *(1)ज्येष्ठ मास (2 )शुक्ल पक्ष( 3 )दशमी तिथि (4 )बुधवार (5 )हस्त नक्षत्र( 6) व्यतिपात योग (7) गर करण (8 )आनंद योग (बुधवार व हस्त नक्षत्र का संयोग हो तो)(9) वृष का सूर्य और (10)कन्यास्थ चंद्र। जिस दिन उपरोक्त यौगों में से अधिक यौगों का संयोग होता है, उसी दिन विशेष को गंगा दशहरा सम्बंधित स्नान-दान, जप-तप वृतादि क़ी शास्त्रआज्ञा है।

कब है गंगा दशहरा

इस वर्ष गंगा-दशहरा सम्बंधित योग 9 एवं 10 जून को प्राप्त हो रहे हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार यदि दोनों दिन इन योगो क़ी संख्या समान हो तो यह पर्व पहले दिन प्रशस्त होग़ा। इस वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल दशमी 9 एवं 10 जून दोनों ही दिन पूर्वांहन व्यपिनी है परन्तु 9 जून को उपरोक्त दशहरा निर्णायक 10 योगो में से 7 योग उपलब्ध है जबकि 10 जून को मात्र 5 योग ही प्राप्त हो रहे है ऐसी स्तिथि में 9 जून 2022, गुरुवार को ही गंगा-दशहरा पर्व मनाया जाएगा।

क्‍यों मनाया जाता है पर्व

जेष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में स्वर्ग से गंगाजी का आगमन हुआ था।जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की यह दशमी तो एक प्रकार से गंगाजी का जन्मदिन ही है। इस दशमी तिथि को गंगा दशहरा कहा जाता है। स्कन्द पुराण, वाल्मीकि रामायण आदि ग्रंथों में गंगा अवतरण की कथा वर्णित है।आज ही के दिन महाराज भागीरथ के कठोर तप से प्रसन्न होकर स्वर्ग से पृथ्वी पर आईं थीं गंगाजी।